बीएचयू के मुक्तकाशीय मंच पर संत रविदास जयंती पर संवाद का हुआ आयोजन

काशी हिंदू विश्वविद्यालय के मुक्ताकाशीय मंच 'पुलिया प्रसंग' द्वारा सन्त रविदास की 647वीं जयंती पर 'रविदास: राग से राज तक' विषय पर एक संवाद का आयोजन किया गया। जिसमें उनके सामाजिक संघर्षों के साथ उनके कवि रूप का स्मरण करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की गई। मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए प्रतिष्ठित समालोचक प्रो.कमलेश वर्मा ने कहा कि भक्ति में शामिल राग ही धर्म व रचनाकार को महत्वपूर्ण बनाता है। रविदास के यहां राज की जगह राग का मूल्य है।कवि अपने राग के माध्यम से जनसमाज तक पहुँचते हैं और उसी राग का प्रभाव है कि आज भी रविदास जनता को प्रभावित कर रहे हैं।


इस अवसर पर अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठ साहित्यकार प्रो.श्रीप्रकाश शुक्ल ने कहा कि रविदास में राग तत्व बहुत प्रभावी है जिसका स्वर बहुत ही उदात्त है। रविदास के यहाँ राग तत्व की स्थापना तथा राज तत्व की अवमानना है। रविदास के राग तत्व के भीतर की राजतत्व के सूत्र छिपे हैं जिसका एक प्रमाण बेगमपुरा की अवधारणा है। रविदास ने राग तत्व के सम्मुख राज तत्व को मानवीकृत करने की कोशिश की है। प्रो शुक्ल ने आगे कहा कि रविदास त्याग की सामाजिकता के रचनाकार हैं। जिसमें वे सबसे पहले अपने व्यक्ति को त्याग से जोड़ते हुए परिवर्तित करते हैं तथा उसी के माध्यम से पूरे समाज से बदलने का आग्रह करते हैं। उन्होंने कहा कि आधुनिक काल में गाँधी जिस राज को मानवीकृत करने की बात करते हैं उन पर सीधा प्रभाव रविदास का ही है। रविदास में राज तत्व उत्तम काव्य ध्वनि के रूप में विद्यमान हैं।उनके कविता के भीतर जो अंतर्निहित शब्द या ध्वनि हैं वह पूरी तरीके से मनुष्य के आभामंडल को रचने की कोशिश करती है। 


वे ढपोर की तरह ढोर को स्वीकार करते हैं अर्थात रविदास दिखावे के स्थान पर श्रम को रविदास स्वीकार करते हैं जो कि एक मानवीय मूल्य व्यवस्था है। युवा आलोचक व बीएचयू के हिंदी विभाग में सहायक आचार्य डॉ.विंध्याचल यादव ने कहा कि रविदास ने मनुष्य की गरिमा को प्रतिष्ठित किया है तथा अपनी वाणी के माध्यम से वे तथाकथित पवित्रतावाद को ध्वस्त किया है। यह प्रतिरोध रविदास ने अपनी कविता के माध्यम से सम्पूर्ण उपेक्षित जनता के हृदय में प्रतिष्ठित कर दिया। अखबार विक्रेता छन्नूलाल ने कहा कि संत रविदास के राग तत्व ने आज काशी के सीरगोवर्धन को वैश्विक पहचान दी है।इस अवसर पर शिक्षक डॉ. अनिल पाण्डेय सूर्यधर ,डॉ. उदयप्रताप पाल ,शोध छात्र मनकामना शुक्ल,आर्यपुत्र दीपक ,अक्षत पाण्डेय ,शिवम यादव ,आलोक गुप्ता ने भी विचार व्यक्त किया। कार्यक्रम का संचालन अमित कुमार ने किया तथा धन्यवाद ज्ञापन उमेश पर्वत ने किया।



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