अपनी सांस्कृतिक धरोहर को वापस लेने की लड़ाई सिर्फ ज्ञानवापी तक नहीं है। वाराणसी में लाट भैरव, बिंदू माधव, कृत्तिवासेश्वर को भी मुक्त कराएंगे। यह बातें ज्ञानवापी मुकदमों के वकील विष्णु शंकर जैन ने कहीं। श्री आदि विश्वेश्वर मुक्ति विद्वत संघ की ओर से मैदागिन स्थित पराड़कर भवन में आयोजित संगोष्ठी में मुख्य वक्ता के तौर पर उन्होंने कहा कि काशी के पांच कोश का अविमुक्त क्षेत्र मुक्त हो इसी कामना के साथ काम कर रहे हैं।
अपने ध्वंस आराध्य स्थलों की मुक्ति में कानूनी अड़चनें व समाधान की पहल विषयक संगोष्ठी में विष्णु शंकर जैन ने कहा कि सनातन संस्कृति को पुनः स्थापित करने का मिशन चल रहा है। इसके तहत ज्ञानवापी व मथुरा श्रीकृष्ण जन्मभूमि का मुकदमा चल रहा है। भोजशाला में मां सरस्वती के मंदिर में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण का सर्वे चल रहा हैं। कुतुब मीनार का मुकदमा चल रहा है और बंगाल में अदीना मस्जिद सेंट्रल जेल को चुनौती की तैयारी चल रही ही। ऐसे 12 मामलों की फाइल तैयारी हो चुकी हैं जहां पर हमारे मंदिरों में जबरन नमाज पढ़ा जा रहा है।
प्लेसेज आफ वर्शिप एक्ट की संवैधानिक मान्यता को चुनौती दी गई है। वक्फ एक्ट को लेकर कई याचिकाएं दाखिल किए हैं। उन्होंने कहा कि ज्ञानवापी में मिले शिवलिंग की जांच होनी चाहिए। अगर जांच में स्पष्ट होता है कि यह शिवलिंग है तो हमें तुरंत पूजा-पाठ की अनुमति मिलनी चाहिए। संगोष्ठी के मुख्य अतिथि अखिल भारतीय संत समिति के राष्ट्रीय महामंत्री जितेन्द्रानंद सरस्वती ने कहा कि अदालतें हमेशा शक्तिशाली की बातें सुनती हैं। ज्ञानवापी के लिए काशी के सनातनी हिंदू मजबूती से नहीं खड़े हुए तो शासन भी मदद नहीं कर सकेगा। वक्फ एक्ट की आड़ में जमीनें हथियाई जा रही हैं। कोई भी वे मठ मंदिर हम वापस नहीं ले पाएं इसलिए प्लेसेज आफ वर्शिप एक्ट बनाया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता हिंदू युवा वाहिनी के अम्बरीश सिंह भोला ने की। इस दौरान राहुल सिंह, गोविंद दास शास्त्री, सुभाष, नंदन चतुर्वेदी, सुधीर त्रिपाठी, दीपक सिंह, तुलसी सुब्रह्मण्यम जोशी को सम्मानित किया गया। संचालन सोहन लाल आर्य ने किया।