श्री काशी विश्वनाथ धाम में द्वितीय "श्री नंदीश्वर उत्सव"संपन्न हुआ। नंदीश्वर पूजा का महत्व हमारे वेदों और शास्त्रों में बहुत ही विशेष बताया गया है। हम जो भी प्रार्थना भगवान से करते है वो नंदीश्वर जी ही भगवान तक पहुंचाते है इसलिए नंदी भगवान का पंचामृत से रुद्र सूक्त के द्वारा अभिषेक और पूजा करके नंदी भगवान को प्रसन्न किया जाता है। ऋषि शिलाद के पुत्र ही नंदी कहलाए जो भगवान शिव के परम भक्त, गणों में सर्वोत्तम और महादेव के वाहन बने। भगवान शिव ने नंदी की भक्ति से प्रसन्न हो कर प्रत्येक शिव मंदिर में नंदी की प्रतिमा होने का वरदान भी दिया था। यही कारण है कि बिना नंदी के दर्शन और उनकी पूजा किए भगवान शिव की पूजा अपूर्ण मानी जाती है।
इन्हीं शास्त्रीय संदर्भों से धर्मसम्मत आराधना परंपरा के अनुपालन में श्री काशी विश्वनाथ मंदिर में नंदी जी की प्रत्येक प्रदोष तिथि पर एकादश अर्चकों द्वारा विधिपूर्वक आराधना संपन्न की जाती थी। श्री काशी विश्वनाथ धाम में नित नवीन सनातन नवाचारों की श्रृंखला में प्रदोष तिथि को एकादश आचार्यों द्वारा संपादित आराधना वृहद स्तर पर महादेव के श्रद्धालुओं की व्यापक सहभागिता के साथ समारोहपूर्वक द्वितीय "श्री नंदीश्वर उत्सव" आयोजित किया गया। आयोजन में श्री काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास के न्यसी वेंकट रमण घनपाठी ने प्रधान आचार्य अर्चक की भूमिका का निर्वाह करने का पुण्य लाभ प्राप्त किया।