श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के पूर्व महंत डा. कुलपति तिवारी का बुधवार शाम निधन हो गया। 80 वर्षीय महंत पिछले कुछ दिनों से बीमार चल रहे थे और निजी अस्पताल के चिकित्सक उनका इलाज कर रहे थे।
दोपहर उन्हें अचानक सीने में दर्द के साथ घबराहट महसूस हुई तो अस्पताल ले जाया गया, इलाज के कुछ देर बाद दम तोड़ दिया। निधन के बाद परिवार में कोहराम मच गया। शव को अस्पताल से टेढ़ीनीम स्थित उनके आवास पर ले जाया गया। उनका अंतिम संस्कार मणिकर्णिका घाट पर किया जाएगा। परिजनों ने बताया कि कई दिनों से न्यूरो संबंधित बीमारी से ग्रसित थे।
यूपी कांग्रेस प्रमुख ने व्यक्त किया शोक
उत्तर प्रदेश कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने डॉ. कुलपति तिवारी के निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया है। एक्स पर एक पोस्ट में उन्होंने कहा, "श्री काशी विश्वनाथ जी मंदिर के पूर्व महंत कुलपति तिवारी के निधन की सूचना हृदयविदारक है। बाबा श्री काशी विश्वनाथ जी महाराज से प्रार्थना है कि दिवंगत आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान देने की कृपा करें। उनका निधन समाज के लिए अपूरणीय क्षति है।"
BHU से किया काशी विश्वनाथ मंदिर पर पीएचडी
डा. कुलपति तिवारी का जन्म दस जनवरी सन् 1954 को वाराणसी में हुआ था। चार वर्ष की अवस्था में बसंत पंचमी पर बाबा विश्वनाथ का तिलकोत्सव और कुलपति तिवारी का शिक्षारंभ संस्कार विश्वनाथ मंदिर के ठीक सामने महंत आवास में हुआ।
कमच्छा स्थित सेंट्रल हिंदू स्कूल (सीएचएस) में प्रवेश के बाद बीएचयू से बीकॉम. और एमकॉम किया। काशी हिंदू विश्वविद्यालय में ‘श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर की संरचना और प्रकार्य’ (धर्म के समाजशास्त्र ) विषय पर शोध करके डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की और डॉक्टर कुलपति तिवारी बन गए। डा. कुलपति तिवारी दर्जनों धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक संगठनों के संरक्षक,मार्गदर्शक,अध्यक्ष आदि पदों पर थे।
पिता की मौत के बाद संभाली महंत की जिम्मेदारी
कुलपति तिवारी के पिता डॉक्टर कैलाशपति तिवारी का निधन सात मार्च 1993 को होने के बाद काशी विश्वनाथ मंदिर के महंत का दायित्व इन्हें मिला। महंत की गद्दी पर आसीन होने के बाद विश्वनाथ मंदिर से जुड़ी लोक परंपराओं को भव्यता प्रदान की।
सावन मास में पूर्णिमा तिथि पर काशी विश्वनाथ के झूलनोत्सव, दीपावली के अगले दिन होने अन्नकूट पर्व, बसंत पंचमी पर बाबा विश्वनाथ के तिलकोत्सव, महाशिवरात्रि पर विवाहोत्सव और अमला एकादशी पर बाबा के गवना के उत्सव पर काशी विश्वनाथ मंदिर में निभाई जाने वाली परंपराओं का महंत आवास से संचालन करते थे।