संस्कार भारती काशी महानगर द्वारा 26 जून, बुधवार को विश्व संवाद केंद्र, काशी, लंका वाराणसी में संविधान आपातकाल विशेष संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम के मुख्य वक्ता प्रोफेसर विवेक पाठक ने अपने वक्तव्य में कहा कि 25 जून 1975 को तत्कालीन कांग्रेस की प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने कई बार संविधान संशोधन करके अपने विशेषाधिकारों को बढ़ाते हुए देश पर अघोषित आपातकाल लगा दिया। उन्होंने न्यायपालिका और कार्यपालिका को अपने अधीन कर समूचे विपक्ष को जेल में डाल दिया था। आज आपातकाल के 49 वर्ष बीत जाने के बाद भी जिन लोगों ने वह काल भोगा था, उनकी आत्मा कांप उठती है। इसीलिए भावी पीढ़ी को आपातकाल का इतिहास जानना आवश्यक है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए डॉ. विष्णु देव तिवारी ने आपातकालीन संस्मरणों को याद करते हुए कहा कि जहां 1950 से 1971 तक 21 वर्षों में मात्र 22 संविधान संशोधन हुए थे, वहीं 1971 से 1974 तक श्रीमती इंदिरा गांधी ने तेजी से 15 बार संविधान संशोधन किया और इनमें जनकल्याण बिल्कुल भी नहीं था। आज लोकसभा का चुनाव लड़ते समय समूचा विपक्ष ‘‘संविधान बचाओ’’ की बात कर रहा है जबकि आज संविधान और लोकतंत्र पूरी तरह सुरक्षित है।कार्यक्रम में मुख्य रूप से संस्कार भारती के प्रान्त संगठन मंत्री दीपक शर्मा, महामंत्री प्रमोद पाठक, संरक्षक डॉ. आर.वी. शर्मा, उपाध्यक्ष संजय सिंह, डॉ. प्रेम नारायण सिंह, सुनील द्विवेदी, सुधीर पाण्डेय, विश्व संवाद केन्द्र काशी प्रमुख राघवेन्द्र, अमित, रणवीर आदि उपस्थित रहे।