काशी अपनी अनूठी परंपराओं के लिए पूरे विश्व में विख्यात है ऐसी एक परंपरा है जो वर्षों से चली आ रही है जिसमें सावन के प्रथम सोमवार को यादव बांधों की ओर से बाबा श्री काशी विश्वनाथ का वृहद जलाभिषेक किया जाता है। श्रावण मास के प्रथम सोमवार को इसी परंपरा का निर्वहन करते हुए लाखों यादव बंधु पारंपरिक परिधान में सर पर जल और दूध से भरा कलश लेकर बाबा काशी विश्वनाथ के दरबार पहुंचे।
इस वर्ष केवल 21 यादव बंधुओ द्वारा स्पर्श दर्शन की अनुमति रही जिसका निर्वाहन किया गया। यादव बंधुओ ने बाबा श्री काशी विश्वनाथ का श्रद्धापूर्वक जलाभिषेक किया ऐसा माना जाता है कि जलाभिषेक करने से भगवान शिव शीघ्र प्रसन्न होते हैं और भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं.
यादव बंधुओं द्वारा आयोजित जलाभिषेक विशेष धार्मिक आयोजन होता है, जिसमें यादव समुदाय के लोग मिलकर भगवान शिव की आराधना करते हैं। इस दशकों पुरानी परंपरा का आज निर्वहन हुआ।
वहीं वहीं प्रशासन द्वारा मात्र 21 यादव बंधुओ को बाबा विश्वनाथ के गर्भ गृह में जाकर जलाभिषेक करने के नियम का विरोध भी हुआ। श्रवण के प्रथम सोमवार पर श्रद्धालुओं की अपार भीड़ को देखते हुए प्रशासन की ओर से केवल 21 यादव बंधुओ की ओर से जलाभिषेक करने की अनुमति दी।
अन्य सभी ने झांकी दर्शन ही किया उन्हें गर्भ गृह में जाकर स्पर्श दर्शन की अनुमति नहीं रही जिस पर उन्होंने विरोध प्रकट किया विरोध कर रहे समाज के लोगों ने कहा कि यह हमारे पूर्वजों की परंपरा है काशी का हर यादव अपने हाथों से बाबा विश्वनाथ का जलाभिषेक करते हैं लेकिन इस बार इस परंपरा का निर्वहन नहीं करने दिया गया जो की निंदनीय है।