इंसानी जज्बातों, संघर्षों और समाज की कड़वी सच्चाई जब संवादों का शरीर और अभिनय का श्रृंगार धारण करके मंच पर उतरी तो दीर्घा में बैठे दर्शकों की आंखें नम हो गईं। मौका था अश्विन नाट्य महोत्सव के 27वें संस्करण की चौथी निशा में 'बर्फ' नाटक के मंचन का। ठंडेपन और ठहराव का आभास कराने वाले इस शीर्षक से मंचित नाटक में विपरीत परिस्थितियों के पिघलने की संभावनाओं को भी उजागर किया गया। सबसे बड़े रोग- क्या कहेंगे लोग के भाव में बहते हुए अपनी नितांत व्यक्तिगत समस्याओं में गहराई तक उलझ जाने ओर फिर उससे उबरने का संदेश इस नाटक का मंचन दे गया।
यही नहीं नाटक ने रंग दर्शकों को जहां अपने अंदर झांकने के लिए प्रेरित किया वहीं आसपास के परिवेश को देखने की नवीन दृष्टि देने का भी प्रयास किया। डॉ. सिद्धांत कौल, गुलाम रसूल और नसीफा इस नाटक के तीन किरदार रहे जिनका सटीक निर्वाह क्रमशः अमित कुमार श्रीवास्तव, रवि कुमार राय और तुषार वर्मा ने किया। सौरभ शुक्ला के लिखे नाटक का मंचन मूलहान संस्था के बैनर तले तौकीर खान के निर्देशन में किया गया। मंच सज्जा एमपी सिंह, वस्त्र विन्यास अंशु प्रिया और प्रकाश संयोजन सात्विक यादव ने किया।