विजयादशमी के मौके पर रावण दहन के पश्चात इस शहर के पूजा पंडालों में स्थापित माँ भगवती की प्रतिमाओं के विसर्जन का क्रम प्रारंभ हो गया। शारदीय नवरात्र में माता के विधिवत पूजन अर्चन के पश्चात उनकी विदाई की घड़ी भी आ गयी । और पूजा पंडाल में स्थापित प्रतिमाओं के विसर्जन की शुरुआत हो गई। पूजा समिति के सदस्यों ने विधि विधान से माता का पूजन किया इसके बाद सुसज्जित वाहनों में मां की प्रतिमा विराजमान कराई गई।
कुछ पूजा पंडालों में बंगीय समाज की महिलाओं ने परंपरा अनुसार सिंदूर खेला की रस्म निभाई। मां को सिंदूर अर्पित करते हुए मिष्ठान खिलाकर पुत्री की तरह मां दुर्गा की विदाई करने की परंपरा है जिसका निर्वहन किया गया। मां को सिंदूर अर्पित करने के बाद महिलाओं ने एक दूसरे को भी सिंदूर लगाया।
ढोल नगाड़े के बीच विसर्जन यात्रा निकाली सभी भक्त नाचते गाते मां का गगन भेदी जयकारा लगाते कुंडो तालाबों के समक्ष पहुंचे जहां पुनः पूजन करते हुए प्रतिमाओं का विसर्जन किया गया सभी ने हाथ जोड़कर मां से प्रार्थना की कि अगले वर्ष भी मां हंसी खुशी से इसी प्रकार पधारे। वहीं विसर्जन के दौरान प्रशासन द्वारा व्यापक व्यवस्था रही क्षेत्र में पुलिस तैनात रही इसके साथ ही कुंड में एनडीआरएफ की टीम मौजूद रही । लोगों की भीड़ और प्रतिमा विसर्जन को लेकर प्रशासन अलर्ट रहा।