अग्रसेन इंटर कॉलेज में साहित्यिक संघ का वार्षिक अधिवेशन हुआ संपन्न

साहित्यिक संघ का 33वाँ वार्षिक अधिवेशन सम्पन्न हुआ।  साहित्य स‌द्भावना व सौहार्द का संवाहक होता है। यह अपने समय और समाज की धड़कनों से स्पंदित होता रहता है। हिन्दी की प्रतिष्ठित संस्था साहित्यिक संघ के 33वें वार्षिक अधिवेशन के मौके पर मुख्य अतिथि पद्मश्री प्रो. उषा यादव ने यह बात अपने उद्बोधन में कही। उन्होनें कहा कि मनुष्य और मनुष्यता ही साहित्य का उपजीव्य है। यह तमाम परिवर्तनों के बावजूद प्रांसगिक और उपादेय बना रहेगा।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए डॉ. रमाकांत शर्मा ' ने कहा कि भारतीय मनीषियों ने जिस आत्मनिष्ठा का प्रवर्तन किया उसके संस्कारों से संपन्न रचनाकार ही कालजयी साहित्य की सर्जना का श्रेय प्राप्त करता है। समारोह के विशिष्ट अतिथि डॉ. हरेन्द्र राय ने कहा कि काशी हिन्दी की केंद्र बिन्दु रही है। यहाँ से प्रवाहित होने वाली साहित्य की अजस्त्र धारा से वह धन्य ही नहीं होती अपितु समृद्ध भी होती है। एम०एल०सी धर्मेन्द्र राय ने कहा कि काशी की साहित्यिक परंपरा को हमे जीवन्त बनाए रखना है, यह गुरूतर दायित्व साहित्यिक संघ व सोच विचार पत्रिका के साथ ही हमारी भी है।

कार्यक्रम के प्रांरभ में साहित्यिक संघ के मंत्री डॉ. जितेन्द्र नाथ मिश्र ने संस्था एवं अधिवेशन के औचित्य पर प्रकाश डाला। इस मौके पर साहित्य की विभिन्न विधाओं से जुड़े रचनाकारों को सेवक साहित्यश्री सम्मान 2024 प्रदान किया गया। इसके साथ ही श्यामलाकान्त वर्मा द्वारा प्रवर्तित कलम का सिपाही सम्मान से प्रसन्नवदन चतुर्वेदी एवं गिरीश पाण्डेय को विभूषित किया गया।इस अवसर पर अनिल सिंह, डॉ. दयानिधि मिश्र, वासुदेव उबेरॉय आदि उपस्थित रहे।








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