संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में डॉक्टर संपूर्णानंद की मनाई गई जयंती, संगोष्ठी में शिक्षाविदों ने रखे विचार

डॉ. सम्पूर्णानन्द जी एक महान विद्वान और शिक्षाविद थे, जिन्होंने संस्कृत शिक्षा को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनकी धारणा के अनुसार, संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय उत्तर प्रदेश का पहला विश्वविद्यालय है, जिसमें म्यूजियम स्थापित किया गया है।उक्त विचार इस प्राचीन संस्था के संस्थापक,पूर्व राज्यपाल/ पूर्व मुख्यमंत्री एवँ शिक्षाविद डॉ सम्पूर्णानन्द जी के 134 वें जयंती समारोह में महाराष्ट्र में स्थित महात्मा गाँधी अंतर्राष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो रजनीश कुमार शुक्ल ने बतौर मुख्य अतिथि व्यक्त किया।

प्रो रजनीश कुमार शुक्ल ने कहा कि डॉ. संपूर्णानंद जी का यह भी मानना था कि यह विश्वविद्यालय पुरातन गौरव का भविष्य के अनुसंधान के लिए बनाया गया है। इसके अलावा, यह विश्वविद्यालय उत्तर प्रदेश का पहला विश्वविद्यालय है, जहां विदेशी भाषाओं को पढ़ाया जाता है।विशिष्ट अतिथि प्रो हरिप्रसाद अधिकारी रहे । जयंती के प्रारम्भ में कुलपति प्रो बिहारी लाल शर्मा एवं विश्वविद्यालय परिवार के साथ परिसर में स्थापित डॉ संपूर्णानंद जी के प्रतिमा पर माल्यार्पण कर याद किया गया।वैदिक मंगलाचरण प्रो महेंद्र पाण्डेय तथा पौराणिक डॉ मधुसूदन मिश्र ने किया। मंच पर आसीन अतिथियों के द्वारा दीप प्रज्वलन तथा माँ सरस्वती एवं डॉ सम्पूर्णानंद जी के चित्र पर माल्यार्पण किया गया। इस दौरान प्रो रजनीश कुमार शुक्ल, प्रो हरिप्रसाद अधिकारी, प्रो जितेन्द्र कुमार,डॉ पद्माकर मिश्र, प्रो रमेश प्रसाद आदि उपस्थित थे।








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