भारतवर्ष का गौरवशाली इतिहास है। यह देश विश्वगुरू रहा है इस देश की वैदिक परम्परा विज्ञान आध्यात्मिक एवं समाज विज्ञान गुरूकुल परंपरा के कारण ही दुनिया के तमाम देशों के लोग शिक्षा ग्रहण हेतु भारत आते थे तक्षशिला एवं नालन्दा विश्वविद्यालय इसके उदाहरण है लेकिन इस देश पर विदेशी आक्रांताओं ने अपनी कुदृष्टि डाली और बार–बार हमले करते रहे लेकिन भारत माता के महान सपूतों ने अपने शौर्य और पराक्रम से उन्हें हमेशा पराजित करते रहे और देश से बाहर का रास्ता दिखाते रहे।
उक्त बातें क्षत्रिय धर्म संसद काशी के अध्यक्ष रणविजय सिंह ने पत्रकार वार्ता में कही। इस ज्ञान परंपरा और सनातन संस्कृति से आगामी पीढ़ी भी परिचित हो सके एवं राष्ट्र के प्रति समर्पण का भाव जाग सके इसी उद्देश्य के साथ 11 एवं 12 जनवरी को मिनी स्टेडियम शिवपुर में शौर्य कथा आयोजित है जिसमें कथावाचक आचार्य शांतनु जी महाराज का मार्गदर्शन प्राप्त होगा। शौर्य कथा की आवश्यकता क्यों पड़ी पत्रकारों के इस प्रश्न पर राहुल सिंह ने बताया कि वामपंथी इतिहासकारों ने इस देश की समृद्धशाली परंपरा, ज्ञान, इतिहास एवं शौर्य को छिपाने एवं दबाने का प्रयास किया, जिसके कारण देश के भविष्य भावी पीढ़ी को शौर्य एवं सत्य से परिचित कराने एवं इस देश की रक्षा हेतु भारत माता के अमर पुत्रों, बलिदानियों को स्मरण कर उन्हें श्रद्धांजलि देने हेतु शौर्य कथा की आवश्यकता पड़ी।पत्रकार वार्ता में डॉक्टर संजय सिंह गौतम, अरूण कुमार सिंह, दृगबिंदु मणि सिंह, ठाकुर कुश प्रताप सिंह इत्यादि लोग भी उपस्थित रहे।