कानून मंत्रालय द्वारा जारी अधिवक्ता प्रोटेक्शन एक्ट संशोधन बिल कहीं से भी अधिवक्ताओं के हित में नहीं है। इस संशोधन बिल में केंद्र सरकार अधिवक्ताओं पर पूरी तरह से अंकुश लगाने का प्रयास कर रही है। उक्त बातें अधिवक्ता विकास सिंह ने कही।
उन्होंने कहा कि संशोधित बिल में बार काउंसिल ऑफ इंडिया में 1961 अधिनियम की धारा 4 में प्रस्तावित संशोधन के अनुसार केंद्र सरकार द्वारा नामित 3 सदस्य होंगे। जिससे स्पष्ट है कि सरकार अधिवक्ताओं पर पूरी तरह से अपना अंकुश रखना चाहती है। वहीं इस बिल में न्यायालय के काम से बहिष्कार करने पर रोक लगाने का प्रावधान है। कोर्ट के काम से बहिष्कार या न्यायालय के कामकाज या कोर्ट परिसर में बाधा डालने के सभी आह्वान धारा 35ए(1) के अनुसार निषिद्ध हैं। ऐसे अधिवक्ता प्रताड़ित होने पर या अधिवक्ता अपने हित के लिए अपनी आवाज नहीं उठा सकता है। यानी अधिवक्ता अपने ऊपर जुल्म का विरोध भी नहीं कर सकता है। विकास सिंह ने कहा कि सरकार के इस संशोधित बिल का एक मात्र उद्देश्य केवल अधिवक्ताओं के हित को प्रभावित करने वाला है। यह संशोधित बिल किसी भी प्रकार से अधिवक्ता हित के नहीं है और अधिवक्ता समाज इस बिल का पुरजोर विरोध करेगा और यदि जरूरत पड़ी तो इसके खिलाफ सड़क से लेकर संसद तक आंदोलन भी करेगा।