परीक्षा की शुचिता के लिए यूपी बोर्ड हर साल कवायद करता है। इस बार भी नकल विहीन और शुचितापूर्ण परिक्षा के लिए तमाम प्रबंध किए गए हैं। सीसीटीवी कैमरों से परीक्षा केंद्रों की निगरानी भी हो रही है। इस सब के बीच परीक्षा के प्रथम चरण प्रैक्टिकल में ही फर्जी परीक्षक के पकड़े जाने की घटना ने कई सवाल खड़े किए हैं।सबसे चौकानेवाला तथ्य यह है कि तीनों डीएवी से पहले राजकीय बालिका इंटर कॉलेज चोलापुर में परीक्षा ले चुके थे। यह जानकारी मिलने के बाद अधिकारियों के होश उड़ गए। आननफानन में कॉलेज की प्रधानाचार्या को भी बुलाया गया। पूछताछ में पता चला कि जीजीआईसी चोलापुर में प्रैक्टिकल परीक्षा लेने के बाद अजीत और ध्रुव डीएवी कॉलेज आ गए जबकि अमरेंद्र नंबर चढ़ाने के लिए वहीं रुक गया।
शाम को डीएवी इंटर कॉलेज पहुंची राजकीय बालिका इंटर कॉलेज की प्रधानाचार्य अंजू सिंह नें फर्जी परीक्षक अजीत यादव को देखते ही पहचान लिया। उन्होंने बताया कि कॉलेज में 37 छात्राओं की प्रयोगात्मक परीक्षा जालसाज ने ली।तलाशी के दौरान अजीत यादव के - पास कागज के एक टुकड़े पर लिखे कई नंबर मिले। लिपिक अमरेंद्र तिवारी के पास बलिया के विद्यालय के प्रधानाचार्य की मुहर, मोबाइल नंबरों की लिस्ट, कई आधार कार्ड, डेबिट कार्ड और अन्य दस्तावेज बरामद हुए। पुलिस ने तीनों का मोबाइल फोन जब्त कर लिया। लिपिक अमरेंद्र पुलिस के सामने बार-बार बयान भी बदलता रहा। उसने खुद को पहले विद्यालय का प्रबंधक और कार्यवाहक प्रधानाचार्य बताया।इसके बाद कॉलेज का लिपिक बताया। अधिकारियों ने तीनों के तार नकल माफिया से जुड़े होने का अंदेशा जताया है। पुलिस मामले की छानबीन कर रही है।