काशी में धूमधाम से मना बुढ़वा मंगल, बजड़े पर आयोजित हुआ कार्यक्रम

धर्म और आस्था की नगरी काशी में बुढ़वा मंगल की परंपरा सालों पुरानी है और इस परंपरा को बनारस आज भी संजोए हुए है. वाराणसी में इस त्योहार को लोग होली के समापन के रूप में भी मनाते हैं जहां होली की मस्ती के बाद बनारसी जोश के साथ अपने पुराने काम के ढर्रे पर लौट जाते हैं.” मंगलवार को बनारस के कई घाटों पर इस परंपरा का निर्वहन होता है। 

इसी कड़ी में खुशबु उपाध्याय से बात करने पर उन्होंने बताया कि हम लोग इस 300 साल पुरानी बुढ़वा मंगल की परंपरा का आज भी उसी शिद्दत से निर्वहन कर रहे हैं इस कार्यक्रम का उद्देश्य है कि जो हमारी वर्षों पुरानी कला है गायन है जैसे ठुमरी है चैती है और अन्य कलाएं है उन सबको बढ़ावा देना ही उद्देश्य है आज के दिन हम लोग इस बजड़े पर सारा कार्यक्रम करते है और इसमें हमारे लगभग 50 मेहमान साथ होते है ।


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