बाबा विश्वनाथ एवं मां गौरा का हल्दी समारोह हुआ आयोजित

रंगभरी एकादशी त्रिदिवसीय लोक उत्सव की श्रृंखला में इस वर्ष मंदिर के पारंपरिक पर्व को लोकमानस के और निकट लाने का प्रयास किया गया। बाबा विश्वनाथ एवं मां गौरा की चल प्रतिमा शास्त्रीय अर्चना के साथ मंदिर चौक में शिवार्चनम मंच के निकट तीन दिन के लिए विराजमान की गई। यह विशेष आयोजन भक्तों और श्रद्धालुओं के बीच गहरे धार्मिक और सांस्कृतिक संबंधों को प्रगाढ़ बनाने के उद्देश्य से किया गया।

रंगभरी उत्सव की इसी श्रृंखला में, रविवार को प्रातः वेला में मथुरा श्री कृष्ण जन्मस्थल से बाबा विश्वनाथ के लिए भेंट की गई अबीर एवं उपहार सामग्री तथा सोनभद्र से श्री काशी विश्वनाथ धाम पहुंचे वनवासी समाज के भक्तों द्वारा राजकीय फूल पलाश से निर्मित हर्बल गुलाल को प्रातः वेला में बाबा विश्वनाथ के गर्भगृह में अर्पित किया गया। इस पूजन में मंदिर न्यास का प्रतिनिधित्व करते हुए मुख्य कार्यपालक अधिकारी विश्व भूषण मिश्र एवं डिप्टी कलेक्टर शम्भु शरण ने विधि-विधानपूर्वक श्री विश्वेश्वर का पूजन किया और हर्बल गुलाल अर्पित किया। इसके पश्चात बाबा विश्वनाथ की चल रजत प्रतिमा की पालकी मंदिर चौक में निकाली गई। यह यात्रा श्रद्धालुओं एवं स्थानीय काशिवाशियों के बीच एक विशेष आकर्षण का केंद्र बनी। हजारों श्रद्धालुओं ने इस यात्रा में भाग लिया और बाबा विश्वनाथ एवं मां गौरा की प्रतिमा पर हल्दी लगाने की प्रथा का निर्वहन किया, जो इस उत्सव की एक अहम धार्मिक परंपरा है। बाबा विश्वनाथ के हल्दी समारोह में विशेष रूप से मथुरा से आए भक्तगण, श्री कृष्ण जन्मस्थली से बाबा विश्वनाथ हेतु उपहार सामग्री लेकर आए भक्त, प्रसिद्ध इतिहासकार एवं लेखक विक्रम सम्पत , और वनवासी समाज के भक्तों ने अपनी सहभागिता की।



श्री काशी विश्वनाथ धाम में मनाए जा रहे रंगभरी एकादशी त्रिदिवसीय लोक उत्सव की श्रृंखला में शंकराचार्य चौक (सांस्कृतिक मंच) पर शिवार्चनम संध्या का आयोजन बड़े धूमधाम से संपन्न हुआ। इस सांस्कृतिक आयोजन में प्रतिष्ठित कलाकारों ने अपनी प्रस्तुतियों से उपस्थित श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। इस आयोजन की शुरुआत विशाखापत्तनम से पधारे प्रसिद्ध त्रिशक्ति भजन मंडल द्वारा भगवान शिव की स्तुति से हुई। 

मंडल ने शिव के अभ्यर्थना में भक्ति रचनाओं का अद्भुत मंचन किया, जिससे श्रोताओं का दिल छू लिया और वातावरण में भक्ति का रस घुल गया। डॉ. आशीष जयसवाल और उनके समूह कलाकारों का ध्रुपद गायन दूसरी प्रस्तुति में डॉ. आशीष जयसवाल और उनके समूह कलाकारों ने ध्रुपद गायन की प्रस्तुति दी। इस अद्भुत शास्त्रीय गायन में उच्चकोटि की वाग्मिता और सुरों की गहराई का अनुभव हुआ, जिससे संगीत प्रेमियों को एक शाश्वत अनुभव प्राप्त हुआ। तीसरी प्रस्तुति पं. अंशुमन महाराज और उनके समूह ने दी। चौथी प्रस्तुति में, अंशिका सिंह ने अपने मनमोहक भजन गायन से समस्त श्रोतागणों को मंत्रमुग्ध कर दिया। इस आयोजन की अंतिम प्रस्तुति पं. रविशंकर मिश्र द्वारा प्राचीन भारतीय नाट्य शैली कथक की प्रस्तुति थी।

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