महाकवि भास के नाटक का नागरी नाटक मंडली के मंच पर हुआ मंचन

महाकवि भास के नाटक 'स्वप्नवासवदत्ता' को राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय वाराणसी केंद्र के छात्रों ने मंगलवार को नागरी नाटक मंडली के मंच पर जीवंत किया। इसमें वक्त की भावनात्मकता और राजनीतिक परिस्थितियों को कलाकारों ने बखूबी दर्शाया। साथ ही प्रेम, कर्तव्य और सत्ता के बीच के नाजुक संतुलन को बखूबी मंच पर उतारा। संस्कृत रंगमंच की सबसे पुरानी कृतियों में से एक इस नाटक के हर पक्ष को नवांकुरों ने बेहतरीन ढंग से पेश किया। मंचन कूदियाट्टम, नौटंकी, पंडवानी और अन्य कथात्मक शैलियों से प्रेरित था। इस नाटक के केंद्र बिंदु में राजा उदयन, उनकी रानी वासवदत्ता और राजकुमारी प‌द्मावती की कथा है। 

प्रसंग के अनुसार वासवदत्ता अपने पति उदयन को प‌द्मावती से विवाह करने के लिए स्वतंत्र करने और वीणा-वादन की लत से उबारने के लिए अपनी मृत्यु का स्वांग रचती है। कथा में व्यक्तिगत प्रेम और राजनीतिक अनिवार्यता के बीच द्वंद्व को दर्शाया गया, जो सत्य व भ्रम, स्वप्न व वास्तविकता के बीच की रेखा को धुंधला कर देता है। वहीं, नाटक सामाजिक-राजनीतिक ताने-बाने को भी उजागर करता है, जहां विवाह एक राजनीतिक सौदेबाजी का उपकरण बन जाता है। इस शक्ति संघर्ष में वासवदत्ता और प‌द्मावती जैसी स्त्रियां बलि चढ़ती हैं। नाटक का निर्देशन केरल के डॉ. चंद्रदासन, प्रकाश परिकल्पना प्रवीन कुमार गुंजन, संगीत कोलकाता से शुभदीप गुहा, मंच सज्जा गुंजन शुक्ला आदि ने किया। भारतेंदु नाट्य अकादमी के अध्यक्ष डॉ. रति शंकर त्रिपाठी भी मौजूद रहे।


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