नागा साधुओं ने काशी वासियों से की अपील, कहा : साधु संतु अघोरियों के लिए होती है मसान की होली, गृहस्थ न हो शामिल

काशीवासी बाबा विश्वनाथ से अपने विशेष संबंध का निर्वाह करते हुए जब उनके विवाह का उत्सव मनाते हैं तो लोकाचार भी करते हैं। तिलक, तेल हल्दी, विवाह के बाद गौना-विदाई करने की परंपरा काशी विश्वनाथ मंदिर के महंत परिवार की अगुवाई में पिछले कई सौ वर्षों से काशी के गृहस्थ भक्त निभाते आ रहे हैं। सोशल मीडिया के बहकावे में आकर नई पीढ़ी के काशीवासियों को कोई भी निर्णय नहीं कर लेना चाहिए। मसान की होली उनके लिए नहीं है। इसे साधु-संतों-अघोरियों के लिए ही छोड़ दें।यह बातें श्रीपंचायती निरंजनी अखाड़ा की उदयपुर शाखा के प्रभारी संत दिगंबर खुशहाल भारती ने कहीं। वह बुधवार को मणिकर्णिका घाट स्थित अपने कैंप में मीडिया से बातचीत कर रहे थे। नागा संत दिगंबर खुशहाल भारती ने कहा कि काशी की जो परंपराएं हैं उन परंपराओं को उनके मूल स्वरूप में ही आगे बढ़ाते रहना आवश्यक है।

काशीवासियों का बाबा विश्वनाथ से संबंध सिर्फ भक्त और भगवान तक ही सीमित नहीं है। मैं काशीवासियों को याद दिलाना चाहता हूं कि काशी में गृहस्थों और संन्यासियों द्वारा बाबा विश्वनाथ के साथ होली खेलने की अलग-अलग लोकपरंपरा रही है। रंगभरी एकादशी की तिथि पर काशीवासी महंत आवास पहुंचकर गौरी-शंकर-गणेश के साथ होली खेलते हैं। उसके ठीक अगले दिन महाश्मशान पर बाबा के साथ संन्यासियों द्वारा होली खेलने की परंपरा है। गृहस्थों को गलती से भी महाश्मशान की होली में सम्मिलित नहीं होना चाहिए। इससे दोष पड़ता है। में काशीवासियों से स्पष्ट आग्रह करना चाहता हूं कि वे रंगभरी एकादशी के दिन महंत आवास पर शिव-पार्वती-गणेश के साथ होली खेलें।


परंपरानुसार बाबा की पालकी महंत आवास से विश्वनाथ मंदिर तक लेकर जाएं। द्वादशी की तिथि पर साधु-संन्यासी मसान पर बाबा के साथ होली खेलेंगे। हम नागा साधु बाबा के गण हैं लेकिन काशीवासी तो सीधे-सीधे बाबा के ही दूत हैं। वे बाबा के दूत हैं इसीलिए वे काशी में हैं और हम सब गण है इसलिए हिमालय की कंदराओं में हैं। काशीवासी बनाने की भगवान शिव द्वारा की गई कृपा के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का अवसर कालचक्र हमें समय-समय पर देता रहता है। वर्तमान का सांस्कृतिक संक्रमण काल हमारी परंपराओं और मान्यताओं के सामने चुनौती बनकर खड़ा है। इसे स्वीकार करते हुए देवाधिदेव महादेव पर पूर्ण विश्वास रख कर प्रत्येक काशीवासी को अपना कर्तव्य निभाना होगा। धर्मरक्षा के लिए बहुत आवश्यक हुआ तो हम अगले कुम्भ से पहले भी काशी लौटने पर विचार कर सकते हैं।

Ktv News Varanasi

Greeting from KTV Channel, Varanasi Leading News and Social content Provider television Channel covering almost 15,00,000 Domestic and commercial Screen in the Town

Post a Comment

Previous Post Next Post