बीएचयू सेंट्रल ऑफिस पर धरने पर बैठी छात्रा का करणी सेना ने किया समर्थन

बीएचयू हिन्दी विभाग से स्नातक और परास्नातक की छात्रा अर्चिता सिंह सेंट्रल ऑफिस के बाहर धरने पर बैठ गई।छात्रा ने बताया कि मैंने 2024-25 पीएचडी प्रवेश बुलेटिन के आधार पर पीएचडी में प्रवेश लेने के लिए आवेदन भरा, जिसमें मुझसे EWS कैटेगरी के बारे में YES या NO टिक करने के लिए कहा गया था।अर्चिता ने कहा - मैं EWS कैटेगरी से संबंधित अभ्यर्थी हूं, इसलिए मैं YES पर टिक कर दिया। इसके बाद मुझे काउंसलिंग हेतु विभाग बुलाया गया, जहां पर मुझसे सभी दस्तावेज और कोई भी उपलब्ध EWS सर्टिफिकेट देने के लिए कहा गया।

अंडरटेकिंग लेकर 1 माह यानी कि 31 मार्च तक EWS सर्टिफिकेट जमा करने को बोला गया। मेरे पास सत्र 2023-24 का EWS सर्टिफिकेट था, जिसे मैंने अन्य दस्तावेजों के साथ संलग्न करके जमा कीया। छात्रा ने कहा कि मेरे सभी दस्तावेजों, जिसमें EWS का अंडरटेकिंग फॉर्म भी सम्मिलित था, को 4 अलग-अलग प्रक्रियाओं से वेरिफिकेशन करके गुजारा गया। मुझे इंटरव्यू के लिए बुलाया गया।विभाग द्वारा पीएचडी का प्रवेश परिणाम घोषित किया गया, जिसमें मेरी UR कैटेगरी में रैंक 15 है और डिपार्टमेंट मुझे पीएचडी प्रवेश के लिए पेमेंट लिंक भेजने की तैयारी में था।इससे पहले विभाग के कुछ प्रोफेसरों और केंद्रीय कार्यालय के शीर्ष अफसरों द्वारा अपने एक प्रिय छात्रा को प्रवेश कराने हेतु एडमिशन प्रक्रिया को बाधित करके प्रवेश के लिए भेजे जाने वाले पेमेंट लिंक को रोक विभाग द्वारा एक कमेटी बना दी गई।छात्रा ने कहा मुझे पिछले 15 दिनों से विश्वविद्यालय के आला अधिकारियों के केबिन में चक्कर लगवाया जा रहा है।डिपार्टमेंट का कहना है कि अगर केंद्रीय कार्यालय के अधिकारियों से हमें नियमों के अनुसार आपका प्रवेश लेने के लिए बोल दिया जाएगा तो मेरा एडमिशन हो जाएगा। इसलिए मैं केंद्रीय कार्यालय पर शांतिपूर्वक धरने पर बैठी हूं।


वही काशी हिंदू विश्वविद्यालय सेंट्रल ऑफिस धरने पर बैठी अर्चिता सिंह को न्याय दिलाने के लिए राष्ट्रीय राजपूत करणी सेना के प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह रघुवंशी के नेतृत्व में करणी सेना अपनी पूरी टीम के साथ धरने पर पहुंचे।। प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह रघुवंशी ने बताया कि यह बच्ची अकेले बलिया से चलकर आई है और यहां सेंट्रल ऑफिस की सीढ़िया पर बैठकर अपने हक की लड़ाई लड़ रही है मैं यही कहना चाहता हूं कि बीएचयू प्रशासन बिना भेदभाव किए अति शीघ्र न्याय करें

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