सम्पूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के योग साधना केंद्र में श्रवण विद्या संकाय के तत्वाधान में महावीर जयंती मनाया गया।भारतीय ज्ञान परम्परा और भगवान महावीर के विषय पर अपना प्रकाश डालते मुख्य अतिथि के रूप में काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, के जैन दर्शन विभागाध्यक्ष प्रो. प्रद्युम्न शाह सिंह ने अपने वक्तव्य में कहा कि जैन ग्रंथों और धार्मिक लिपियों के अनुसार, भगवान महावीर का जन्म चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की 13 तारीख को बिहार के कुंडलग्राम में हुआ था, जो पटना से कुछ किलोमीटर दूर है। उस समय, वैशाली को राज्य की राजधानी माना जाता था। हालाँकि, महावीर के जन्म का वर्ष विवादित है। श्वेतांबर जैन के अनुसार, महावीर का जन्म 599 ईसा पूर्व में हुआ था, जबकि दिगंबर जैन 615 ईसा पूर्व को उनका जन्म वर्ष मानते हैं।
उनके माता-पिता - राजा सिद्धार्थ और रानी त्रिशला ने उनका नाम वर्धमान रखा था। इंद्रियों को नियंत्रित करने में असाधारण कौशल दिखाने के कारण उन्हें "महावीर" नाम मिला। यह व्यापक रूप से माना जाता है कि जब महावीर 72 वर्ष के थे, तब उन्हें ज्ञान प्राप्त हुआ था। कार्यक्रम के प्रारम्भ में वैदिक मंगलाचरण छात्र सोनू तिवारी, पौराणिक मंगलाचरण अतिथि अध्यापक डॉ. लेखमणि त्रिपाठी एवं प्राकृत मंगलाचरण डॉ. कमलेश कुमार जैन ने किया । दीप प्रज्वलन एवं भगवान महावीर व माँ सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण, मंच पर आसीन अतिथियों के द्वारा किया गया। मंच पर आसीन अतिथियों का स्वागत और अभिनंदन माल्यार्पण एवं अंग वस्त्र ओढ़ाकर किया गया।कार्यक्रम का संचालन प्रो. रमेश प्रसाद ने किया।कार्यक्रम का समापन-राष्ट्रगान से किया गया।उक्त जयंती में मुख्य रूप से प्रो. हरिप्रसाद अधिकारी, प्रो. हरिशंकर पांडे, प्रो. राम पूजन पांडे, प्रो. महेंद्र पांडे सहित बौद्ध भिक्षु, छात्र कर्मचारी व अध्यापक उपस्थित थे।
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