रामनवमी के अवसर पर मुस्लिम महिलाओं ने प्रभु श्री राम का किया पूजन, कलश यात्रा सहित प्रभु श्री राम की हुई आरती

महिलाओं के सिर पर राम और जानकी की प्रतिमा, कलश, हाथों में गदा और राम ध्वजा के साथ जब श्रीराम आश्रम से श्रीराम संस्कृति कलश यात्रा निकली तो पूरा वातावरण राममय हो गया। रामपंथ की ओर से दलित परिवार, आदिवासी परिवार की ओर से निकाली गयी कलश यात्रा की विशेषता थी कि नेतृत्व नाज़नीन अंसारी ने किया। रामध्वजा के साथ जय श्रीराम का जयकारा गूंज रहा था। मुंशी प्रेमचन्द का गांव लमही को गोठने यानी परिक्रमा की परम्परा को निभाते हुए यात्रा के माध्यम से गांव के चारों ओर राम नाम की लकीर खींची गई ताकि गांव को बुरी नजर से बचाया जा सके। घर-घर राम की पूजा को अनिवार्य बनाने की पहल की गई।

इस अवसर पर रामपंथ के पंथाचार्य डॉ० राजीव ने कहा कि रामपंथ रामपरिवार भक्ति आन्दोलन चला रहा है। हर घर में भगवान श्रीराम के परिवार की पूजा होने लगेगी तो श्रीराम के महान आदर्शों को घर-घर में स्थापित किया जा सकेगा। इससे परिवार बचेगा।रामपंथ के आचार्य डॉ० कवीन्द्र नारायण ने कहा कि दुनियां भगवान राम के ही रास्ते पर चलकर शांति और समृद्धि की ओर जा सकती है।इस अवसर पर डॉ० अर्चना भारतवंशी, डॉ० नजमा परवीन, डॉ० मृदुला जायसवाल, ज्ञान प्रकाश आदि लोग मौजूद रहे।

वक्फ संशोधन बिल को लेकर एक तरफ पूरे देश में कट्टरपंथी मौलानाओं ने नफरत की आग जला रखी है, वहीं दूसरी तरफ रामनवमी के अवसर पर मुस्लिम महिलाओं ने श्रीराम की महाआरती कर नफरत की आग पर प्रेम का पानी डालकर बुझाने का संदेश दिया। मुस्लिम महिला फाउंडेशन एवं विशाल भारत संस्थान के संयुक्त तत्वावधान में मुस्लिम महिलाओं की श्रीराम महाआरती का आयोजन लमही के सुभाष भवन में किया गया।सजावटी थाल, खूबसूरत रंगोली, उर्दू में लिखा श्रीराम मुस्लिम महिलाओं की श्रद्धा को व्यक्त कर रहा था। आज मुस्लिम महिलाएं खुश थी क्योंकि वक्फ संशोधन बिल पास हो गया और उसमें उनको भी अधिकार मिला है। नकाबपोश मुस्लिम महिलाओं ने मुस्लिम महिला फाउंडेशन की राष्ट्रीय अध्यक्ष नाज़नीन अंसारी के नेतृत्व में भगवान श्रीराम की आरती उतारी। उर्दू में लिखी राम आरती को मुस्लिम महिलाओं ने गाया। राम जी के जन्म पर सोहर गाये गए और जय सियाराम का नारा लगा।इस अवसर पर नाज़नीन अंसारी ने कहा कि अरबी, तुर्की, मुगल लुटेरे आए, आक्रमण किया, राज किया, बहुतों ने धर्म बदल लिया, लेकिन अरबियों और तुर्कियों की संस्कृति को कभी हमने स्वीकार नहीं किया। राम भारत की संस्कृति के पर्याय हैं। हमारे पूर्वज हैं। हम अपनी परम्पराओं और पूर्वजों को कैसे बदल सकते है। जब-जब हम राम जी की आरती करते हैं, तब-तब हमारे पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है। हमारे पूर्वज राम भक्त थे, हम भी हैं। आज वक्फ बोर्ड में सुधार से हम खुश हैं। मुस्लिम महिलाओं को अधिकार मिला है। राम का नाम ही संघर्ष को खत्म करने वाला है। वक्फ बिल पास होने की वजह से राम जी को आरती कर शुक्रिया कह रहे हैं। सब उन्ही की कृपा से हुआ है।इस अवसर पर डॉ० अर्चना भारतवंशी, डॉ० मृदुला जायसवाल, नगीना बेगम, चाँदनी, रुखसाना, सितारा बानो, खुशबू जरीना, शमा, इकरा, नाजमा, शमसुननिशा, सुनीता, सुमन प्रीति, आशा, आभा भारतवंशी, मो० शहाबुद्दीन, नौशाद अहमद दुबे, अब्दुल्ला दुबे, कलीमुद्दीन, इली, खुशी, उजाला, दक्षिता आदि लोग मौजूद रहे।


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