चैत्र नवरात्र के छठवें दिन मां भगवती के गौरी स्वरूप के दर्शन के क्रम में ललिता घाट स्थित माता ललिता गौरी पूजी गई । भोर से ही मंदिर का पट खोल दिया गया हाथों में नारियल माला फूल मिष्ठान लेकर बड़ी संख्या में भक्तों ने पहुंचकर जय जय कार के बीच माता का दर्शन पूजन कर प्रसाद चढ़ाया और परिवार के सुख समृद्धि की कामना की । वही श्रद्धालुओं ने बताया कि माता सब पर कृपा अपनी बनाए रखती हैं नवरात्र में मां के दरबार में हम लोग परिवार के सुख शांति के लिए हाजिरी लगाते है ।
ललिता घाट स्थित मां ललिता गौरी भी देवताओं की मनोकामना पूर्ण करने के लिए प्रकट हुई। माता के इस अद्भुत रूप के दर्शन मात्र से मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। ललिता गौरी, ललिता तीर्थ क्षेत्र की रक्षा करती हैं। श्रद्धालुओं के विध्न को हरती हैं। मान्यता है कि ललिता गौरी के आराधना से व्यक्ति को ललित कलाओं में विशेष उपलब्धि प्राप्त होती है। देवी को अड़हुल का फूल विशेष रूप से प्रिय है। भक्तों ने आज माता के दरबार में पहुंच कर हाजिरी लगाई और सुख समृद्धि की कामना की।
इसी कड़ी में नवरात्र की षष्ठी तिथि पर मां भगवती के दुर्गा स्वरूप के दर्शन पूजन के क्रम में माता कात्यायनी के दर्शन की मान्यता है। संकठा घाट पर आत्माविश्वेश्वर मंदिर परिसर स्थित मां कात्यायनी देवी के दरबार में हाजिरी लगाई। भोर से ही श्रद्धालु देवी क दरबार में पहुंचते रहे। दर्शन-पूजन का क्रम देर रात तक चलता रहेगा। मां कात्यायनी के दरबार में महिलाओं की भीड़ ज्यादा दिखी। मंगला आरती के पूर्व मां को पंचामृत व गंगाजल से स्नान कराया गया।
विधि-विधान से आरती पूजन के बाद मंदिर का पट भक्तों के दर्शन के लिए खोल दिया गया। श्रद्धालुओं ने नारियल और चुनरी माला फूल का प्रसाद चढ़ाकर माता से सौभाग्य की कामना की।मान्यता है कि देवताओं की कार्य सिद्धि के लिए भगवती महर्षि कात्यायन के आश्रम में प्रकट हुई थीं। महर्षि ने उन्हें कन्या का स्थान दिया। इसलिए देवी कात्यायनी के नाम से विख्यात हुईं। देवताओं का कार्य सिद्ध करने के उद्देश्य से भगवती समय-समय पर अनेक रूपों में अवतरित हुईं है। तीन नेत्रों से विभूषित माता के मुख पर सौम्यता है। इनका ध्यान करने से कष्टों से मुक्ति मिलती है। माता महाभय से भक्त की रक्षा करती हैं। देवी पुराण, स्कंद पुराण में भगवती देवी के इस स्वरूप की महिमा का विस्तृत रूप से बखान किया गया है।