हिन्दी विभाग, बीएचयू और राम छाटपार शिल्प न्यास, वाराणसी के संयुक्त तत्वावधान में हिन्दी के जाने माने कवि-आलोचक एवं बीएचयू के हिन्दी विभाग में आचार्य प्रो. श्रीप्रकाश शुक्ल का षष्टिपूर्ति समारोह बीएचयू स्थित वैदिक विज्ञान केंद्र में धूमधाम से मनाया गया। इस दौरान श्रीप्रकाश शुक्ल की कृतियों और स्मृतियों पर आधारित तीन पुस्तकों का लोकार्पण भी किया गया। 'साठ का पाठ'नाम से आयोजित कार्यक्रम कुल तीन सत्रों में सम्पन्न हुआ।
प्रथम सत्र में 'समय के प्रश्न और कविता का समय' विषय पर आमंत्रित विद्वान वक्ताओं ने अपने विचार रखे। कार्यक्रम की अध्यक्षता बनारस के प्रसिद्ध विद्वान पद्मश्री राजेश्वर आचार्य ने की। मुख्य अतिथि प्रसिद्ध कवि मदन कश्यप, मुख्य वक्ता कवि हरीश चंद्र पांडेय रहे सत्र में हिन्दी विभाग के अध्यक्ष प्रो. वशिष्ठ अनूप की आत्मीय उपस्थिति रही। स्वागत वक्तव्य प्रतिष्ठित न्यूरोचिकित्सक डॉ विजयनाथ मिश्र ने दिया। सत्र की अध्यक्षता कर रहे विद्वान पद्मश्री प्रो राजेश्वर आचार्य ने कहा कि आज एक रचनाकार के लिए सत्ता, पुरस्कार आदि रुचिकर हैं। ऐसे में श्रीप्रकाश शुक्ल जी को इन सबसे परे साहित्य साधना में लगे देखकर सुख होता है। आत्म वक्तव्य देते हुए प्रो. श्रीप्रकाश शुक्ल ने कहा कि कविता ने मुझे लघुता से प्रेम करना सिखाया। उन्होंने कहा कि कविता मेरे लिए आलोक का आरोहण है। जिससे मैंने शब्द साधना की है। इस सत्र में युवा आलोचक डॉ विन्धयाचल यादव द्वारा संपादित 'झुकना किसी को रोपना है:श्रीप्रकाश शुक्ल की चुनी हुई कविताएँ' नामक पुस्तक का लोकार्पण हुआ। संचालन डॉ कमलेश वर्मा तथा धन्यवाद ज्ञापन डॉ रविशंकर सोनकर का रहा।