इमाम हुसैन और उनके 71 साथियों की शहादत की याद में शिया समुदाय के लोग गम का महीना मोहर्रम मना रहे हैं। शिया बहुल इलाकों में मजलिस और जुलूसों का दौर जारी है। ऐसे में रविवार की रात वाराणसी के औसानगंज स्थित नवाब की ड्योढ़ी से 100 साल पुराना दुलदुल और अलम का जुलूस निकाला गया। रात 9 बजे जुलूस उठने के पहले मौलाना ने मजलिस को खिताब फरमाया।
जुलूस में अंजुमन जव्वादिया ने नौहाख्वानी व मातम किया। जुलूस दालमंडी होते हुए दरगाह फातमान में देर रात समाप्त हुआ । जुलूस उठने से पहले मौलाना ने इमाम हुसैन की शहादत पढ़ी। जुलूस उठने पर अंजुमन जव्वादिया ने नौहा-मातम किया। जुलूस नवाब की ड्योढ़ी से उठकर काशीपुरा, नारियल बाजार, दालमंडी, नई सड़क, कालीमहल, पितरकुंडा होते हुए दरगाह फातमान पर देर रात ठंडा हुआ। जुलूस में जगह-जगह अकीदतमंदों ने दुलदुल को दूध और मलीदा खिलाया।