कुछ दिन पूर्व उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के माननीय प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने अपने फेसबुक हैंडल पर मणिकर्णिका घाट स्थित बाबा मसाननाथ मंदिर का एक वीडियो साझा किया था, जिसमें स्पष्ट रूप से देखा गया कि मंदिर परिसर में गंदा सीवर पानी भरा हुआ है, जिससे श्रद्धालुओं को भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा।यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होते ही नगर निगम की नींद टूटी और आनन-फानन में वहां मशीन भेजकर पानी की निकासी की गई। दुर्भाग्यवश, नगर निगम द्वारा बाद में सोशल मीडिया पर यह झूठा दावा किया गया कि "ऐसी कोई समस्या थी ही नहीं" और अजय राय द्वारा साझा किया गया वीडियो झूठा व भ्रामक है।लेकिन सच्चाई को झुठलाया नहीं जा सकता।
जब शहर के एक प्रतिष्ठित न्यूज़ चैनल के पत्रकार स्थल पर पहुँचे और मंदिर के महंत जी से साक्षात्कार किया, तो उन्होंने साफ-साफ बताया कि वीडियो वायरल होने के करीब 5 घंटे बाद नगर निगम की टीम वहां पहुंची, सफाई की, और उसी के बाद वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर "साफ-सुथरे परिसर" की झूठी तस्वीर पेश की।
❓ अब सवाल यह उठता है:
यदि वीडियो झूठा था, तो सफाई की आवश्यकता क्यों पड़ी?
क्या सच्चाई दिखाने वालों को बदनाम करना ही अब सिस्टम का नया चेहरा बन गया है?
यह अत्यंत निंदनीय है कि जनता की आंखों में धूल झोंकने के लिए सरकारी तंत्र इस हद तक गिर सकता है।
हम स्पष्ट करना चाहते हैं कि— 🔹 जनता अब सब जानती है।
🔹 सवाल पूछना लोकतंत्र का अधिकार है।
🔹 और सच्चाई दिखाना हमारा कर्तव्य है।
नगर निगम से हम यह अपेक्षा करते हैं कि—
1. वह सच को स्वीकार करे,
2. जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई करे,
3. और भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो, इसकी गारंटी दे।
हम सभी मीडिया साथियों से निवेदन करते हैं कि इस मुद्दे को निष्पक्षता से जनता के सामने रखें, ताकि जवाबदेही तय हो सके।