गुरुवार को दशाश्वमेध घाट पर स्थित बड़ी शीतला माता मंदिर में आषाढ़ मास की शीतला अष्टमी पर बड़ी संख्या में महिलाओं ने दर्शन पूजन किया। महिलाओं ने व्रत रख कर बुधवार को रात्रि में घर की साफाई कर पूडी हलवा व प्रसाद बना कर पूजन पाठ करने के बाद शीतला माता मंदिर में पुजन कर प्रसाद अर्पित किया। और परिवार की सुख समृद्धि की कामना की। आषाढ़ कृष्ण अष्टमी को शीतलाष्टमी के रूप में मनाया जाता है,
जिसे कई क्षेत्रों में बसौरा भी कहा जाता है।धार्मिक पारंपरिक आस्थानुसार इस दिन ताजा खाना नहीं बनाया जाता। पूजा में सिर्फ एक दिन पहले का बना हुआ बासी भोजन ही ग्रहण किया जाता है। यह परंपरा शीतला माता को ठंडा भोजन पसंद होने की मान्यता पर आधारित है। पुराने समय में जब मेडिकल सुविधाएं नहीं थीं, तब यह त्योहार जन-स्वास्थ्य चेतना का प्रतीक भी था, यह व्रत स्वास्थ्य का संकेत होता था, जो कि यह दर्शाता है कि रोगों से बचाव हेतु शुद्धता और ठंडक का पालन हो।