वाराणसी के घसियारी टोला इलाके में 250 साल पुराने इमामबाड़े में कदीमी मजलिस का आयोजन

वाराणसी के शिया बहुल इलाकों में मजलिस-मातम का दौर शुरू हो गया है। सुबह 7 बजे शहर के घसियारी टोला इलाके में इमामबाड़ा मदद्दन दरोगा में पहली मजलिस हुई। जिसमें मौलाना ने इमाम हुसैन और उनके साथियों की शहादत पढ़ी। इसके अलावा शहर के अन्य इलाकों में मजलिसों का दौर शुरू हैं। जहां सुबह 7 बजे से लेकर रात के 1 बजे तक मजलिसें हो रहीं हैं।

मदद्दन दरोगा के इमामबाड़े में हुई कदीमी मजलिस

मोहर्रम का चांद दिखने के बाद इमामबाड़े सजाए गए और मजलिसों का दौर शुरू हो गया। इसी क्रम में शहर के पुराने इमामबाड़ों में शुमार मद्दन दरोगा के इमामबाड़े घसियारी टोला में पहली मजलिस सुबह 7 बजे हुई। इस इमामबाड़े से जुड़े अली अब्बास ने बताया- यह इमामबाड़ा 250 साल से अधिक पुराना है। इमामबाड़े में 29 बकरीद की रात अलम और ताबूत सजाए गए। उसके बाद एक मोहर्रम से इसमें मजलिस मातम का दौर शुरू हो गया। जो आगामी 9 मोहर्रम तक चलेगा।


दोषीपुरा स्थित बारादरी में हुई मजलिस

इसी क्रम में सुबह 8 बजे दोषीपुरा स्थित बारादरी मस्जिद के सामने स्थित बारादरी में मजलिस मातम का दौर शुरू हो गया। मजलिस यहां सुबह 8 बजे से दिन में 11 बजे तक होती है। वहीं रात में इसी मस्जिद के बगल में स्थित जनाने इमामबाड़े में जनानी मजलिस रात में 8 बजे होती है। मुतवल्ली गुलजार अली ने बताया कि यहां 6 मुहर्रम को मस्जिद में बंद ताजिया बाहर निकाला जाएगा। जिसमें सोने और चांदी का काम हुआ है और कई बेसकीमती हीरा भी लगा हुआ है। इसे निकलकर 6 मुहर्रम को ही बारादरी में स्थापित किया जाएगा।दालमंडी स्थित शिया बहुल इलाके में पहली मजलिस अंजुमन हैदरी के अब्बास मुर्तुजा शम्सी के घर हुई। इस मजलिस में मर्सियाख्वानी की गई। जिसे सुनने के लिए दूर-डोर से लोग आते हैं। अब्बास मुर्तुजा शम्सी ने बताया- इस्लाम जिंदा होता है हर कर्बला के बाद। 1447 साल से शिया कौम इमाम हुसैन का गम मानते आ रही है। इसी क्रम में इस वर्ष भी मजलिस मातम हो रहा है। दालमंडी से पहला जुलूस तीन मोहर्रम को गुजरेगा।

आज उठेगा शिवपुर में दुलदुल का जुलूस

अली समिति के प्रवक्ता हाजी फरमान हैदर ने बताया- शहर की 28 अंजुमनें कुल 60 जुलूस 13 दिनों में उठाती हैं। पहली जुलूस एक मोहर्रम को लाट सरैया स्थित सदर इमामबाड़े से उठाया गया। आज दो मोहर्रम को दूसरा जुलूस शिवपुर से उठाया जाएगा। जिसमें बाहरी और मकामी (लोकल) अंजुमने हिस्सा लेंगे और नौहाख्वानी व मातम करेगी। 

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