गुरूपूर्णिमा के इस पावन अवसर पर लाखों श्रद्धालुओं और शिष्यों ने सतगुरू स्वामी सरनानन्द जी महाराज परमहंस के श्रीचरणों में पहुंचकर पाया आत्मदीक्षा का वरदान।काशी नगरी के दक्षिणी छोर पर, माँ भागीरथी के तट पर स्थित संतों की तपोभूमि गड़वाघाट में उषाकाल से ही श्रद्धालुओं का अनवरत आगमन चलता रहा और आश्रम का हर कोना भक्ति की ऊर्जा से आलोकित हो उठा।
पूरे दिन श्रद्धा, सेवा और समर्पण से परिपूर्ण इस महोत्सव में आत्मविवेकानन्द जी से लेकर हरशंकरानन्द जी परमहंस तक सभी पूज्य गुरुओं की समाधियों पर पूजन और आरती सम्पन्न हुई।वर्तमान पीठाधीश्वर, सद्गुरू स्वामी सरनानन्द जी महाराज ने गुरू परम्परा को अक्षुण्ण रखते हुए शिष्यों को सत्संग, दीक्षा और दर्शन के माध्यम से जीवन मार्ग का प्रकाश प्रदान किया।इस दिव्य आयोजन में देश भर के अनेक संत, महात्मा, और श्रद्धालु एक साथ मिलकर गुरु भक्ति में रमे रहे।