सावन मास का पवित्र पर्व पूरे श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जा रहा है। इस अवसर पर जहां हर मंदिर को सजाया-संवारा जाता है, वहीं मां चंद्रघंटा के श्रृंगार को विशेष महत्व दिया जाता है। ऐसा माना जाता है कि मां चंद्रघंटा अपने भक्तों के सभी दुखों का नाश करती हैं।
मंदिर के पुजारी वैभव नाथ योगेश्वर ने बताया कि सावन में प्रतिवर्ष मां चंद्रघंटा का हरियाली श्रृंगार किया जाता है। सुबह माता का पूजन कर उन्हें नवीन वस्त्र पहनाए जाते हैं और फूल-मालाओं से सुसज्जित किया जाता है। इसके साथ ही मंदिर को भी बर्फ और हरियाली से भव्य रूप में सजाया जाता है।
मां चंद्रघंटा की दस भुजाओं में अस्त्र-शस्त्र और घंटियां सुशोभित रहती हैं। उनके मस्तक पर अर्धचंद्र भी विशेष आकर्षण का केंद्र होता है। कहा जाता है कि माता अपनी दिव्य ध्वनि मात्र से ही असुरों का संहार कर देती हैं।मां चंद्रघंटा के दर्शन से सभी प्रकार की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। नवरात्रि में तीसरे दिन इनका पूजन होता है, लेकिन सावन में हरियाली श्रृंगार का विशेष महत्व होता है, जिसे देखने के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है।