जुलाई 2006 में मुंबई की लोकल ट्रेनों में 11 मिनट के भीतर 7 बम धमाके हुए थे, जिनमें 189 लोगों की जान गई और 700 से अधिक यात्री घायल हुए। इस आतंकी हमले ने देश को झकझोर दिया था। अब इस केस में हाई कोर्ट द्वारा सभी 11 आरोपियों को बरी किए जाने से जांच एजेंसियों की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठ खड़े हुए हैं।गौरतलब है कि मुंबई पुलिस और एटीएस ने इन हमलों के लिए सिमी, लश्कर-ए-तैयबा और पाकिस्तान समर्थित संगठनों को जिम्मेदार ठहराया था और 12 आरोपियों को गिरफ्तार कर ट्रायल कोर्ट में पेश किया था। ट्रायल कोर्ट ने सभी आरोपियों को फांसी की सजा सुनाई थी।
लेकिन सबूतों की कमी के चलते बॉम्बे हाई कोर्ट ने अब उन्हें बाइज्जत बरी कर दिया है। ट्रायल के दौरान एक आरोपी की मौत हो चुकी है।इस फैसले ने न सिर्फ जांच एजेंसियों की निष्पक्षता पर सवाल खड़ा किया है, बल्कि यह भी आशंका उत्पन्न की है कि क्या असली गुनहगार आज भी खुलेआम घूम रहे हैं?सरकार की ओर से इस निर्णय को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने की तैयारी की जा रही है।
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