काशी हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) की शोध छात्रा नाजुक भसीन की असमय मृत्यु के मामले में अब छात्र संगठनों ने मोर्चा खोल दिया है। भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन (NSUI) ने विश्वविद्यालय के कार्यवाहक कुलपति को एक ज्ञापन सौंपते हुए चिकित्सा तंत्र में लापरवाही का आरोप लगाया है और संस्थागत सुधारों की मांग की है।ज्ञापन में NSUI ने कहा कि नाजुक भसीन, जो एक सीनियर रिसर्च फेलो थीं, सुंदरलाल अस्पताल के इमरजेंसी विभाग की उदासीनता और लापरवाही का शिकार बनीं। गंभीर उल्टी-दस्त की शिकायत के बावजूद उन्हें दो दिनों तक केवल ORS और पेरासिटामोल जैसी दवाएं देकर घर भेज दिया गया। छात्रा की पुरानी स्वास्थ्य समस्याओं की जानकारी के बावजूद किसी वरिष्ठ डॉक्टर ने केस नहीं देखा।
NSUI ने दावा किया कि छात्रा जब विश्वविद्यालय के हेल्थ सेंटर पहुँची थी, तब भी उसे समय से ड्रिप नहीं दी गई और शाम का समय होने का हवाला देकर सुंदरलाल अस्पताल भेज दिया गया। इसे छात्र संगठन ने "अमानवीय निर्णय" बताया और इस दिन की स्वतंत्र जांच की मांग की।छात्र संगठन ने माँग की कि छात्र स्वास्थ्य संकुल में X-Ray, CT-Scan, MRI, ECG जैसी जरूरी सुविधाएं बहाल की जाएं और ओपीडी का समय शाम 8 बजे तक किया जाए। इसके अलावा, छात्रों के लिए CCU/ICU में प्राथमिकता सुनिश्चित करने की अपील की गई है।ज्ञापन में कहा गया है कि अक्सर छात्र-छात्राओं की शिकायतों को गंभीरता से नहीं लिया जाता और केवल जेनेरिक दवाएं देकर टाल दिया जाता है। NSUI ने पूछा कि कम गुणवत्ता वाली दवाएं किसके निर्देश पर मंगवाई जाती हैं और इसकी जांच की मांग की।पूरे प्रकरण की निष्पक्ष जांच के लिए NSUI ने एक उच्चस्तरीय स्वतंत्र समिति के गठन की मांग की है, जिसमें शिक्षक, छात्र और चिकित्सा विशेषज्ञों को शामिल किया जाए।NSUI ने कहा कि यदि इस मामले में तत्काल कोई जांच समिति गठित नहीं की गई तो छात्र संगठन विरोध प्रदर्शन के लिए बाध्य होगा और इसकी जिम्मेदारी विश्वविद्यालय प्रशासन की होगी।मृतक छात्रा को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए NSUI ने उनके परिजनों के प्रति संवेदना जताई और विश्वविद्यालय प्रशासन से तत्काल कदम उठाने की अपील की है।