सावन के तीसरे सोमवार को भगवान शिव के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं का जनसैलाब पांडे हवेली स्थित प्रसिद्ध तिलभांडेश्वर मंदिर में उमड़ पड़ा। सुबह से ही श्रद्धालुओं की लंबी कतारें मंदिर परिसर के बाहर देखी गईं। अब तक हजारों भक्त बाबा तिलभांडेश्वर के दर्शन कर चुके हैं। मंदिर का कपाट रात 10:00 बजे तक खुला रहेगा ताकि अधिक से अधिक श्रद्धालु शिव जी के दर्शन कर सकें।
यह मंदिर वाराणसी का एक प्रमुख धार्मिक स्थल है। यहां स्थित शिवलिंग को स्वतः प्रकट माना जाता है और मान्यता है कि यह हर वर्ष महाशिवरात्रि पर एक तिल के आकार में स्वतः बढ़ता है। शिवलिंग का यह चमत्कार भक्तों के बीच गहरी आस्था और श्रद्धा का केंद्र बना हुआ है। हालांकि मंदिर का निर्माण 18वीं शताब्दी में हुआ माना जाता है, लेकिन यहां स्थित शिवलिंग की उम्र लगभग 2,500 वर्ष मानी जाती है।
स्थानीय मान्यता के अनुसार, शिवलिंग को नारियल की जटा से रगड़कर उसकी बढ़ने की गति को नियंत्रित किया जाता है। यह घटना भगवान शिव की शक्ति और उपस्थिति का प्रतीक मानी जाती है। काशी को मोक्ष की नगरी कहा जाता है, और तिलभांडेश्वर मंदिर इस आध्यात्मिक नगरी के धार्मिक जीवन का अभिन्न हिस्सा है। सावन के पावन महीने में यहां दर्शन करने मात्र से भक्त भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने में स्वयं को सौभाग्यशाली मानते हैं। मंदिर प्रशासन ने सुरक्षा और दर्शन की सुविधाओं के व्यापक इंतजाम किए हैं। भीड़ को नियंत्रित करने के लिए स्वयंसेवकों की तैनाती की गई है और श्रद्धालुओं के लिए पेयजल, छाया और प्राथमिक चिकित्सा की व्यवस्था की गई है।