गुरु पूर्णिमा के पावन अवसर पर आध्यात्मिक नगरी काशी में आस्था का अद्भुत नजारा देखने को मिला। शुक्रवार सुबह भोर से ही श्रद्धालु गंगा स्नान और गुरु पूजन के लिए घाटों की ओर उमड़ पड़े। दशाश्वमेध, शीतला, पंचगंगा, अहिल्याबाई और अस्सी घाट पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी, जिससे घाटों का माहौल किसी मेले जैसा नजर आया।श्रद्धालु ‘हर-हर गंगे’ और ‘नमः शिवाय’ के जयघोष के साथ गंगा में आस्था की डुबकी लगाते दिखे। स्नान के पश्चात भक्तों ने दान-पुण्य किया और बाबा विश्वनाथ के दर्शन के लिए लंबी कतारों में लग गए।प्रशासन ने घाटों पर कड़ी सुरक्षा के इंतजाम किए हैं।
जलस्तर बढ़ने के चलते बैरिकेडिंग लगाई गई है। जल पुलिस और गोताखोरों को घाटों पर तैनात किया गया है। स्नान केवल निर्धारित सुरक्षित क्षेत्र में करने की अनुमति दी जा रही है।पंडित बलराम मिश्र के अनुसार, गुरु पूर्णिमा के दिन स्नान, दान और गुरु पूजन का विशेष महत्व है। इस दिन पीले वस्त्र, चना, हल्दी और पीली मिठाई का दान करना पुण्यकारी माना जाता है। उन्होंने कहा कि गुरु यंत्र की स्थापना और गुरु दोष से मुक्ति के उपाय आज के दिन अत्यंत फलदायी होते हैं।काशी में गुरु पूर्णिमा पर उमड़ा श्रद्धालुओं का सैलाब एक बार फिर यह सिद्ध करता है कि यह नगरी केवल आस्था की नहीं, बल्कि गुरु परंपरा की भी जीवंत प्रतीक है।