कांग्रेस नेता राहुल गांधी के लिए कानूनी संकट गहराता नजर आ रहा है। सिख समुदाय को लेकर अमेरिका में दिए गए कथित बयान के मामले में वाराणसी की एमपी/एमएलए कोर्ट ने बड़ी कार्रवाई करते हुए निचली अदालत द्वारा दी गई राहत को रद्द कर दिया है। अब अदालत ने निर्देश दिया है कि यह मामला गुण-दोष के आधार पर सुना जाएगा, जिससे राहुल गांधी को इस टिप्पणी के लिए निचली अदालत में जवाब देना होगा। याचिकाकर्ता नागेश्वर मिश्रा का आरोप है कि राहुल गांधी ने अमेरिका में दिए एक भाषण में सिख समुदाय के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी की थी। उनका कहना है कि इस बयान ने देश की एकता और अखंडता को खतरे में डाल दिया है। उन्होंने इस संबंध में धारा 156(3) के तहत निचली अदालत में शिकायत की थी, जिसे 28 नवंबर 2024 को खारिज कर दिया गया था।इसके बाद उन्होंने एमपी/एमएलए कोर्ट में पुनरीक्षण याचिका दाखिल की थी।
कोर्ट ने याचिकाकर्ता के पक्ष में फैसला देते हुए निचली अदालत का आदेश रद्द कर दिया है। अब राहुल गांधी को इस मामले में गुण-दोष के आधार पर सुनवाई का सामना करना पड़ेगा। अधिवक्ता विवेक शंकर तिवारी के अनुसार, अगर मामले में राहुल गांधी के खिलाफ पर्याप्त साक्ष्य पाए जाते हैं, तो उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज हो सकती है, जिसमें 10 साल तक की सजा का प्रावधान है।यह फैसला राहुल गांधी के लिए एक बड़ा कानूनी झटका माना जा रहा है और अब उन्हें वाराणसी की अदालत में अपने बयान को लेकर स्पष्टीकरण देना होगा।