बीएचयू में शोध छात्रा की इलाज के दौरान मौत, चिकित्सकीय लापरवाही पर भड़का आक्रोश

एक होनहार शोध छात्रा एक प्रतिष्ठित संस्थान और एक असंवेदनशील चिकित्सा तंत्र वाराणसी स्थित बीएचयू के सर सुन्दरलाल चिकित्सालय में 11 जुलाई 2025 को शोध छात्रा नाजुक हसीन की इलाज के दौरान दुखद मृत्यु हो गई।आरोप है कि तीन दिनों तक उन्हें आपातकालीन विभाग से लेकर विभिन्न चिकित्सकीय विभागों के बीच भटकाया गया, लेकिन समय पर किसी वरिष्ठ डॉक्टर की देखरेख में इलाज नहीं मिल सका।इलाज केवल जूनियर चिकित्सकों के भरोसे चलता रहा। इस घटना ने न सिर्फ अस्पताल प्रशासन, बल्कि पूरे विश्वविद्यालय के चिकित्सा तंत्र की जवाबदेही पर गंभीर प्रश्न खड़े कर दिए हैं।

छात्र संगठनों और विश्वविद्यालय समुदाय ने इस मामले में चिकित्सकीय लापरवाही का आरोप लगाते हुए 8 प्रमुख मांगें रखी है, जिनमें शामिल हैं:मामले की निष्पक्ष जांच और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई,छात्र स्वास्थ्य संकुल में अल्ट्रासाउंड व ब्लड कलेक्शन की सुविधा,ओपीडी में छात्रों को प्राथमिकता,आईसीयू में छात्रों और कर्मचारियों के लिए दो बेड सुनिश्चित करना,डॉक्टरों का प्राइवेट प्रैक्टिस बंद कर जवाबदेही तय करना और इमरजेंसी सेवाओं की जटिलता को सरल व प्रभावी बनाना।नाजुक की मौत सिर्फ एक घटना नहीं, एक चेतावनी है  कि समय रहते चिकित्सा व्यवस्था में सुधार नहीं हुआ, तो और भी कई ‘नाजुक’ इस लापरवाही की बलि चढ़ सकते हैं।अब ज़रूरत है जवाबदेही की और एक संवेदनशील, सुरक्षित, और सुचारु स्वास्थ्य व्यवस्था की।


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