काशी में गंगा तेजी से उफान पर है। बढ़ते जलस्तर के कारण शहर के 25 घाटों के बीच संपर्क पूरी तरह टूट गया है। हालात को देखते हुए जिला प्रशासन ने नाविकों के साथ बैठक कर छोटी नावों के संचालन पर रोक लगा दी है।केंद्रीय जल आयोग के अनुसार मंगलवार सुबह 8 बजे गंगा का जलस्तर 63.13 मीटर दर्ज किया गया।
जबकि काशी में चेतावनी स्तर 70.26 मीटर और खतरे का निशान 71.26 मीटर है। 1978 में गंगा का अब तक का सबसे ऊंचा जलस्तर 73.90 मीटर दर्ज हुआ था।
मणिकर्णिका घाट पर जलभराव, शवदाह स्थल सीमित
मणिकर्णिका घाट पर गंगा का पानी ताड़केश्वर महादेव मंदिर से नीचे की 10 सीढ़ियों तक पहुंच चुका है। घाट के निचले हिस्से पूरी तरह जलमग्न हो चुके हैं। अब सिर्फ महाश्मशाननाथ मंदिर के सामने लगभग 12-15 चिताओं की जगह बची है। पुनरुद्धार कार्य के चलते छत का हिस्सा भी टूट चुका है, जिससे वहां दाह संस्कार करना मुश्किल हो गया है।
हरिश्चंद्र घाट पर भी स्थिति गंभीर
हरिश्चंद्र घाट पर फिलहाल सीढ़ियों पर ही अंतिम संस्कार किया जा रहा है, लेकिन यदि जलस्तर और बढ़ा तो शवदाह गलियों में करना पड़ेगा। घाट पर शवदाह करने वाले कालीचरण ने बताया कि बाढ़ के कारण लोगों को चिता के लिए एक से डेढ़ घंटे तक इंतजार करना पड़ रहा है।प्रशासन और नगरवासी स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं, लेकिन गंगा का लगातार बढ़ता जलस्तर चिंता का विषय बनता जा रहा है।