गुरु पूर्णिमा के पावन अवसर पर सतुआ बाबा आश्रम, मणिकर्णिका घाट में भक्तों ने संतोष दास जी महाराज का भव्य विद्वत पूजन और अर्चन कर गुरु-शिष्य परंपरा का अनुपम उदाहरण प्रस्तुत किया।पूरे कार्यक्रम में आध्यात्मिक उल्लास और श्रद्धा का वातावरण व्याप्त रहा। बड़ी संख्या में उपस्थित श्रद्धालुओं ने माला, फूल, मिष्ठान और वस्त्र अर्पित कर अपने गुरुदेव संतोष दास जी का सम्मान किया। पूजा-अर्चना के पश्चात प्रवचन और भजन कार्यक्रम का आयोजन भी हुआ, जिसमें गुरु की महिमा का गुणगान किया गया।
संतोष दास जी ने अपने आशीर्वचन में कहा, "गुरु वही जो अज्ञान के अंधकार से ज्ञान के प्रकाश की ओर ले जाए।" उन्होंने गुरु-शिष्य संबंधों को भारतीय संस्कृति की आत्मा बताते हुए उसके संरक्षण का आह्वान किया।कार्यक्रम में देश-विदेश से आए श्रद्धालुओं की भारी भागीदारी रही और आयोजन को सफल बनाने में आश्रम के सेवकों ने दिन-रात मेहनत की।गंगा तट पर गूंजते भजन और गूढ़ मंत्रोच्चारों ने पूरे क्षेत्र को आध्यात्मिक ऊर्जा से भर दिया। गुरु पूर्णिमा पर यह आयोजन वाराणसी की सनातन परंपरा और संत परंपरा का एक जीवंत प्रतीक बन गया।