काशी की सांस्कृतिक विरासत को पुनर्जीवित करने की दिशा में एक अहम कदम उठाते हुए ‘आवर्तन संगीत संध्या’ द्वारा 27 जुलाई 2025 को श्री नागरी नाटक मंडली के प्रांगण में विलुप्त हो चुकी 'बेला बाड़ी' परंपरा को पुनः जीवंत करने का आयोजन किया जा रहा है। इस आयोजन की जानकारी संस्था की सचिव सुचारिता गुप्ता ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में दी। उन्होंने बताया कि यह कार्यक्रम 10 वर्ष के बच्चों से लेकर 70 वर्ष तक की महिलाओं की सहभागिता से सम्पन्न होगा, जिसमें पुरानी कजरी और मल्हार की दुर्लभ बंदिशों की प्रस्तुति दी जाएगी। इन रचनाओं को नए स्वरूप में सामने लाने का उद्देश्य विलुप्त हो रही संगीत परंपरा को संजोना और अगली पीढ़ी तक पहुंचाना है।
नागरी नाटक मंडली न्यास के अध्यक्ष डॉ. अजीत सहगल ने कहा कि यह आयोजन हमारी सांस्कृतिक धरोहर को पुनर्जीवित करने का एक सार्थक प्रयास है। श्री नाटक मंडली सदैव कला और संस्कृति के संवर्धन के लिए प्रतिबद्ध रही है।संगीत परिषद की डॉ. रूबी शाह ने इसे एक अद्वितीय पहल बताया और कहा कि "ऐसे प्रयास नई पीढ़ी को अपनी जड़ों से जोड़ने में मदद करते हैं।" वहीं कार्यक्रम में उपस्थित सुश्री सुमन पाठक ने कहा कि “काशीवासियों के लिए यह एक अनूठा अवसर है, जब वे 'बेला बाड़ी' जैसी लुप्त हो चुकी परंपरा को फिर से जीवंत रूप में देख सकेंगे।” कार्यक्रम दुमरी साम्राज्ञी सिद्धेश्वरी देवी एवं विदुषी सविता देवी को समर्पित होगा। आवर्तन संस्था, श्री नागरी नाटक मंडली, और संगीत परिषद के संयुक्त प्रयास से यह सांस्कृतिक संध्या निश्चित ही काशी की विरासत को नई रोशनी देगी।