काशी के वीर बाबू जगत सिंह की गाथा को संजोए सोच विचार का विशेषांक हुआ लोकार्पित

वाराणसी में रविवार को वाराणसी विकास समिति द्वारा सोच विचार पत्रिका का विशेषांक लोकार्पण किया गया, जो 1799 में अंग्रेजों के खिलाफ काशी में हुए विद्रोह के नायक स्वतंत्रता संग्राम सेनानी बाबू जगत सिंह को समर्पित है। इस अंक में वरिष्ठ पत्रकार निरंकार सिंह और डॉ. राम सुधार सिंह के लेख शामिल हैं। कार्यक्रम का शुभारंभ अतिथियों के स्वागत से हुआ। बाबू जगत सिंह शोध समिति के संरक्षक प्रदीप नारायण सिंह और वाराणसी टूरिस्ट गाइड एसोसिएशन के संरक्षक अशोक आनंद ने शोध कार्य की पृष्ठभूमि और महत्व पर प्रकाश डाला। 

डॉ. (मेजर) अरविंद कुमार सिंह ने बताया कि 1799 की बगावत में मारे गए अंग्रेज अधिकारियों की कब्रें आज भी उस क्रांति का प्रमाण हैं। वरिष्ठ पत्रकार निरंकार सिंह ने कहा कि यह विद्रोह अत्यंत भीषण था और जिन्होंने पराधीनता स्वीकार नहीं की, उन्हें नमन करना हमारा कर्तव्य है। प्रोफेसर दीपक मलिक ने इसे शिक्षा जगत में शोध का एक अनुपम उदाहरण बताया और आगे भी शोध जारी रखने की बात कही। डॉ. दयानिधि मिश्रा ने इतिहास के पुनर्लेखन की महती आवश्यकता पर बल दिया, वहीं डॉ. राम सुधार सिंह ने काशी की क्रांतिकारी परंपरा का उल्लेख करते हुए शोध समिति के कार्य की सराहना की।मुख्य अतिथि प्रोफेसर चंद्रमौली उपाध्याय ने कहा कि पूर्वजों का ऋण कभी चुकाया नहीं जा सकता और यह शोध कार्य इतिहास को आईना दिखाने वाला है। हिमांशु उपाध्याय ने कहा कि यदि शोध समिति प्रयास न करती तो बाबू जगत सिंह का नाम गुमनाम रह जाता।कार्यक्रम का संचालन राजेंद्र कुमार दुबे ने किया और धन्यवाद ज्ञापन पत्रिका के संपादक नरेंद्र नाथ मिश्रा ने दिया। इस अवसर पर कई विद्वान, पत्रकार और समाजसेवी उपस्थित रहे।





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