काशी-मिथिला सांस्कृतिक कॉरिडोर का हो निर्माण,प्रो. संजय पासवान

सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय के प्रथम कुलपति पद्मविभूषण डॉ. आदित्यनाथ झा की 114वीं जयंती समारोह विश्वविद्यालय के योग साधना केंद्र में बड़े ही धूमधाम से मनाई गई। समारोह की अध्यक्षता प्रभारी कुलपति प्रो. रामपूजन पाण्डेय ने की, जबकि मुख्य अतिथि के रूप में बिहार विधान परिषद के सदस्य प्रो. संजय पासवान एवं विशिष्ट अतिथि प्रो. रजनीश शुक्ला उपस्थित रहे।कार्यक्रम का शुभारंभ अतिथियों द्वारा डॉ. झा के चित्र पर माल्यार्पण और दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुआ। 

इसके बाद मैथिल समाज उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष निरसन कुमार झा एडवोकेट ने मुख्य अतिथि एवं अन्य अतिथियों को मिथिला की परंपरागत पाग, दुपट्टा और माला पहनाकर सम्मानित किया।मुख्य अतिथि प्रो. संजय पासवान ने कहा कि मिथिला और काशी के बीच प्राचीन एवं गहरे संबंध रहे हैं, इसलिए “काशी-मिथिला सांस्कृतिक कॉरिडोर” का निर्माण समय की मांग है।

इससे दोनों क्षेत्रों के बीच सांस्कृतिक और बौद्धिक आदान-प्रदान को नया आयाम मिलेगा। उन्होंने कहा कि डॉ. ए.एन. झा में अद्भुत प्रशासनिक दक्षता थी, जिसके कारण उन्हें विश्वविद्यालय का प्रथम कुलपति बनने का गौरव प्राप्त हुआ।मुख्य वक्ता प्रो. रजनीश शुक्ला ने कहा कि डॉ. झा का जीवन “प्रथम” की उपलब्धियों से भरा रहा। वे दिल्ली के प्रथम उपराज्यपाल, आईसीएस परीक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त करने वाले, भारतीय प्रशासनिक अकादमी देहरादून के प्रथम डायरेक्टर और सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय के प्रथम कुलपति रहे।

समारोह की अध्यक्षता करते हुए प्रो. रामपूजन पाण्डेय ने कहा कि डॉ. झा प्रशासनिक दक्षता के साथ-साथ बहुभाषाविद भी थे। वे हिंदी, अंग्रेजी, संस्कृत और मैथिली के विद्वान थे। छात्रों को उनके जीवन से प्रेरणा लेकर आगे बढ़ना चाहिए।इस अवसर पर “गोविंदायन – श्रीमद्भगवद्गीता का मैथिली पद्यानुवाद” पुस्तक का लोकार्पण भी किया गया।कार्यक्रम का संचालन गौतम कुमार झा (एडवोकेट) ने किया और धन्यवाद ज्ञापन प्रो. शैलेश मिश्र ने दिया। समारोह में प्रो. शंकर मिश्र, प्रो. सुधाकर मिश्रा, प्रो. विजय पाण्डेय, डॉ. पी.के. झा, डॉ. अत्रि भारद्वाज, हरिमोहन पाठक, नटवर झा, शशांक श्रीवास्तव, दीपक राय कान्हा, ओम शंकर श्रीवास्तव समेत अनेक विद्वान एवं गणमान्य लोग उपस्थित रहे।

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