काशी के प्रसिद्ध अन्नपूर्णा मंदिर में अन्नकूट महोत्सव बड़ी श्रद्धा और भव्यता के साथ मनाया गया। इस पावन अवसर पर मंदिर परिसर भक्तों की भीड़ से खचाखच भरा रहा। मां अन्नपूर्णा के दरबार में 56 भोग का भव्य आयोजन किया गया। मंदिर में लड्डुओं से “मां अन्नपूर्णा” और “जय श्री राम” लिखी गई सुंदर आकृतियाँ विशेष आकर्षण का केंद्र रहीं।धार्मिक मान्यता के अनुसार, भगवान शिव ने काशी के भरण-पोषण के लिए माता अन्नपूर्णा से भिक्षा मांगी थी। इसी प्रसंग की स्मृति में हर वर्ष अन्नकूट पर्व बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।
इस अवसर पर देश के कोने-कोने से आए लाखों श्रद्धालुओं ने माता के दर्शन किए और प्रसाद ग्रहण किया।अन्नकूट महोत्सव के दौरान माता अन्नपूर्णा के दरबार को कच्चे और पक्के अन्न से बने 511 क्विंटल प्रसाद से सजाया गया। मंदिर के नीच मंडप में स्वर्ण प्रतिमा के दर्शन के आखिरी दिन माता का दरबार विविध व्यंजनों और मिठाइयों से जगमगा उठा। 56 भोग आरती के समय हरिद्वार से आए महामंडलेश्वर शिवानंद गिरी जी महाराज ने पूजा-अर्चना की और विशेष आरती संपन्न कराई। ब्राह्मणों द्वारा वेद-मंत्रों के साथ माता का विशेष श्रृंगार और पूजन किया गया, जिससे वातावरण भक्तिमय हो उठा।मंदिर परिसर में सुबह से ही श्रद्धालुओं की लंबी कतारें लग गई थीं।
अनुमान के अनुसार पांच दिनों तक चली इस पूजा में करीब दस लाख भक्तों ने माता अन्नपूर्णा के दर्शन किए। भक्तों ने भक्ति-भाव से अन्नकूट प्रसाद ग्रहण किया और मां से जीवन में अन्न, धन और समृद्धि की कामना की।मंदिर के महंत शंकर पुरी जी महाराज ने बताया कि अन्नकूट का दर्शन करने वाले भक्त का अन्न भंडार कभी खाली नहीं होता।