कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा के पावन अवसर पर श्री काशी विश्वनाथ धाम में अन्नकूट पर्व श्रद्धा, भक्ति और भव्यता के साथ मनाया गया। भगवान श्री विश्वनाथ का इस अवसर पर 21 क्विंटल मिष्ठानों से विशेष श्रृंगार किया गया, जिसमें छेना, बूंदी लड्डू, काजू बर्फी सहित अनेक प्रकार के मिष्ठान शामिल रहे।पूरे धाम को दीपों, पुष्पों और सुगंधित धूप से सुसज्जित किया गया, जिससे वातावरण भक्तिमय और आलौकिक हो उठा। सुबह से ही श्रद्धालुओं की भारी भीड़ मंदिर परिसर में दर्शन और पूजन के लिए उमड़ पड़ी।
कार्यक्रम की शुरुआत पंचबदन रजत प्रतिमा की भव्य शोभायात्रा से हुई, जो महंत निवास से प्रारंभ होकर गर्भगृह तक पहुँची। इसके उपरांत विधिपूर्वक मध्याह्न भोग आरती संपन्न हुई। भोग अर्पण के पश्चात श्रद्धालुओं को प्रसाद वितरित किया गया।अन्नकूट पर्व को केवल धार्मिक ही नहीं, बल्कि सनातन धर्म के सामाजिक मूल्यों – एकता, सहयोग और कृतज्ञता का प्रतीक माना जाता है। काशी विश्वनाथ धाम में मनाया गया यह पर्व अध्यात्म, भक्ति और समरसता का दिव्य संदेश लेकर आया।विश्व भूषण मिश्र, श्री काशी विश्वनाथ धाम के मुख्य कार्यपालक अधिकारी, ने बताया कि –“अन्नकूट पर्व भगवान की असीम कृपा और हमारे जीवन में अन्न के महत्व की स्मृति दिलाता है।यह पर्व श्रद्धा के साथ-साथ समाज में सहयोग और एकता का भी संदेश देता है।”पूरे आयोजन के दौरान मंदिर प्रबंधन की ओर से भक्तों की सुविधा के लिए विशेष व्यवस्था की गई थी। दिनभर धाम परिसर “हर हर महादेव” के जयघोषों से गूंजता रहा और अन्नकूट महोत्सव का यह भव्य आयोजन श्रद्धालुओं के लिए एक अविस्मरणीय आध्यात्मिक अनुभव बन गया।