चित्रकूट कोषागार में हुए बड़े वित्तीय घोटाले की रकम अब 100 करोड़ रुपये तक पहुंचने की आशंका जताई जा रही है। जांच में सामने आया है कि यह हेराफेरी वर्ष 2018 से सितंबर 2025 तक लगातार जारी रही।आंतरिक जांच समिति की रिपोर्ट के अनुसार, पेंशन और वेतन मद में फर्जी प्रविष्टियां कर सरकारी धन को अलग-अलग खातों में भेजा गया। कई मामलों में एक ही शिक्षक के नाम पर बार-बार भुगतान दर्ज किए गए हैं।जांच में पाया गया कि पटल संभालने वाले दो कर्मचारियों की भूमिका संदिग्ध है। दोनों कर्मचारियों के रियल एस्टेट कारोबार से जुड़े होने की जानकारी भी सामने आई है। सूत्रों का कहना है कि इन दोनों ने अपने प्रभाव का उपयोग कर लंबे समय तक यह आर्थिक खेल जारी रखा।वरिष्ठ कोषाधिकारी रमेश सिंह ने बताया कि अब तक लगभग 22 लाख रुपये की रिकवरी की जा चुकी है। एफआईआर दर्ज कराने के लिए तहरीर भेज दी गई है।
विभागीय जांच जारी है और अधिकारियों को उम्मीद है कि जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ेगी, घोटाले के और बिंदु सामने आएंगे।इस घोटाले ने न सिर्फ वित्तीय प्रणाली पर सवाल उठाए हैं बल्कि सरकारी खातों की सुरक्षा और निगरानी व्यवस्था पर भी गंभीर प्रश्न खड़े कर दिए हैं।