धनतेरस के पावन अवसर पर मां अन्नपूर्णा मंदिर में श्रद्धा और आस्था का अद्भुत संगम देखने को मिला। वर्षभर प्रतीक्षित यह क्षण तब आया जब धनतेरस के दिन स्वर्णमयी मां अन्नपूर्णा के दर्शन के लिए मंदिर के पट आम भक्तों के लिए खोले गए।मान्यता के अनुसार, साल में केवल इसी दिन से अन्नकूट तक माता के स्वर्णमई स्वरूप का होता है। धनतेरस की सुबह विधि-विधानपूर्वक पूजन-अर्चन के बाद जैसे ही मंदिर के द्वार खुले, “जय मां अन्नपूर्णा” के जयघोष से पूरा परिसर गुंजायमान हो उठा।भोर से ही लाखों श्रद्धालु माता के स्वर्णमयी रूप के दर्शन हेतु कतारों में खड़े रहे। देर रात से ही मंदिर परिसर के बाहर लंबी लाइनें लग गई थीं। मंदिर को फूलों और दीपों से सजाया गया था, जिससे पूरा वातावरण भक्तिमय और दिव्य आलोक से जगमगा उठा।धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन मां अन्नपूर्णा के दरबार में खजाना और लावा बांटा जाता है। जो भक्त इसे प्रसाद रूप में प्राप्त करते हैं, उनके जीवन में अन्न-धन की कमी नहीं रहती और परिवार में खुशहाली बनी रहती है।
भक्तों ने बताया कि धनतेरस पर स्वर्णमयी मां के दर्शन से उन्हें आध्यात्मिक शांति और समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है। प्रसाद स्वरूप खजाना और लावा पाकर सभी श्रद्धालु निहाल हो उठे।मंदिर प्रशासन ने दर्शन के दौरान सुरक्षा और व्यवस्था के व्यापक प्रबंध किए थे। वहीं, पुलिस बल लगातार भीड़ पर नजर रखे हुए था ताकि श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की असुविधा न हो।धनतेरस पर वाराणसी का यह दृश्य सचमुच स्वर्णमयी आस्था और दिव्य भक्ति का जीवंत प्रमाण बन गया — जब माता अन्नपूर्णा के दर्शन से संपूर्ण काशी भक्तिरस में डूब गई।