काशी हिंदू विश्वविद्यालय के संगीत एवं मंच कला संकाय के ओंकारनाथ ठाकुर सभागार में पंडित छोटेलाल मिश्र संगीत अभिकल्प अकादमी के संयुक्त तत्वाधान में ‘एक ताल शिरोमणि’ 12वीं स्मृति समारोह का भव्य आयोजन किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि वाराणसी के मेयर अशोक तिवारी रहे।समारोह का शुभारंभ महामना पं. मदन मोहन मालवीय की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित कर एवं दीप प्रज्वलन से हुआ। इस अवसर पर अनेक प्रतिष्ठित कलाकारों ने अपनी उत्कृष्ट प्रस्तुतियों से उपस्थित जनों को मंत्रमुग्ध किया।कार्यक्रम में डॉ. सी. सतवार प्रसाद, डॉ. विनय मिश्र संवादिनी पर, तेजस्विनी वाडेकर गायन पर, पंकज राय तबला पर, श्रुति सिंह उद्धव तबला पर, वैभव रामदास पखावज पर, मनीष कुमार नखतर सितार पर, पं. नरेंद्र मिश्र, अमरेंद्र मेहता एवं पं. रामकुमार मिश्र तबला पर उपस्थित रहे।संगीत एवं मंच कला संकाय की प्रोफेसर विधि नागर ने पं. छोटेलाल मिश्र के योगदान को याद करते हुए कहा किवे बनारस घराने के मधुरतम तबला वादक और स्व. पं. अनोखेलाल मिश्र के योग्यतम शिष्य थे। उन्होंने न केवल मंच प्रदर्शन में महारत हासिल की, बल्कि अपनी चार पुस्तकों के माध्यम से तबला वादन की बारीकियों और बनारस घराने की अमूल्य रचनाओं को अमर धरोहर के रूप में संरक्षित किया।
उन्होंने देश-विदेश के अनेक मंचों पर यादगार प्रस्तुतियाँ दीं — अमेरिका, कनाडा, फ्रांस, स्वीडन, नार्वे, पोलैंड, जापान, नेपाल, जर्मनी, स्विट्जरलैंड और नीदरलैंड जैसे देशों में उनकी कला का जादू बिखरा।1972 में बीएचयू से संगतकार के रूप में जुड़े पं. छोटेलाल मिश्र 1989 में प्राध्यापक बने और 1997 में रीडर के पद से सेवा प्रदान करते हुए 2002 में सेवानिवृत्त हुए। तबला विषय में स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम एवं प्रथम पीएचडी की शुरुआत का श्रेय भी उन्हें ही जाता है।कार्यक्रम के अंत में उपस्थित कलाकारों एवं शिष्यों ने गुरु पं. छोटेलाल मिश्र के योगदान को नमन करते हुए उनकी संगीत साधना को आगे बढ़ाने का संकल्प लिया।