मथुरा के विख्यात संत प्रेमानंद जी महाराज पिछले कई वर्षों से किडनी की गंभीर बीमारी से जूझ रहे हैं। उन्हें पॉलीसिस्टिक किडनी डिजीज (PKD) है, जिसके कारण उनकी दोनों किडनियां कार्य करने में असमर्थ हैं। डॉक्टरों की सलाह पर वे नियमित रूप से डायलिसिस पर हैं। हाल ही में उनकी पाँचवीं लगातार डायलिसिस की गई है।मथुरा में ऑन-कॉल डॉक्टरों ने स्पष्ट किया है कि संत महाराज की स्थिति फिलहाल गंभीर नहीं है। उनका इलाज नियमित रूप से चल रहा है और बीमारी पूरी तरह हावी नहीं है। डॉक्टरों के अनुसार संत का मानसिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण उनकी ताकत का स्रोत है। उनकी सकारात्मक सोच और आस्था उन्हें इस कठिन दौर में भी जीवंत और प्रेरणादायक बनाए रखती है।इस बीच, भक्तों में चिंता है, क्योंकि संत प्रेमानंद की यात्रा और कार्यक्रम फिलहाल स्थगित कर दिए गए हैं।
भक्त उनकी सेहत के लिए प्रार्थना कर रहे हैं और उनकी शीघ्र स्वास्थ्यलाभ की कामना कर रहे हैं। कुछ भक्तों ने निजी रूप से भी किडनी दान करने की इच्छा जाहिर की है, जिससे संत प्रेमानंद के इलाज में मदद मिल सके।संत प्रेमानंद के अनुयायी मानते हैं कि उनकी जिजीविषा और अडिग विश्वास बीमारी से लड़ने में सबसे बड़ा हथियार है। उनका कहना है — "रोग शरीर पर हावी हो सकता है, लेकिन आत्मा पर नहीं।"