काशी में भाई दूज का महापर्व धूमधाम से मनाया गया

वाराणसी में भाई दूज के पावन अवसर पर बहनों ने अपने भाइयों की लंबी उम्र और खुशहाली की कामना की। शहर के विभिन्न हिस्सों में बहनों ने पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ पूजा-अर्चना की और भाई दूज का त्यौहार धूमधाम से मनाया।चितईपुर के सुस्वाही क्षेत्र में सुबह से ही महिलाएं अपने घरों और आंगनों में पूजा करती नजर आईं। पूजा के दौरान बहनों ने भाईयों के लिए आरती उतारी और प्रसाद का आदान-प्रदान किया।परंपरा के अनुसार, पहले बहनों ने प्रतीकात्मक रूप से अपने भाइयों को मृत्यु का श्राप दिया। इसके बाद वे अपनी जीभ में कांटा चुभाकर इस श्राप का प्रायश्चित करती हैं। इसके साथ ही गोबर के प्रतीकात्मक गोधन को कूटते हुए भाई की सुरक्षा और खुशहाली की कामना की जाती है। भाईयों ने भी अपनी सामर्थ्य के अनुसार बहनों को उपहार भेंट किए।

स्थानीय महिला रूपवाही की लीलावती पांडे के अनुसार, कथा के अनुसार यमराज और यमनी संसार में ऐसे व्यक्ति की खोज में भ्रमण कर रहे थे, जिसकी बहन ने कभी उसे श्राप या अपशब्द नहीं कहा हो। ऐसे भाई को वे यमलोक ले जाना चाहते थे।इस दौरान उन्हें एक ऐसा भाई मिला, लेकिन उसकी बहन ने उसे श्राप और अपशब्द दिए। इससे यमराज उसके जीवन को समाप्त नहीं कर सके। इसी घटना के बाद से यह परंपरा भाई दूज पर निभाई जाती है।भाई दूज के इस महापर्व ने काशीवासियों के बीच परंपरा और भाई-बहन के अटूट प्रेम को जीवित रखा।



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