वाराणसी में दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का समापन: कथक नृत्य में गत और गतभाव पर विशेष चर्चा, कलाकारों को कौस्तुभ कला रत्न सम्मान

काशी हिंदू विश्वविद्यालय के मंच कला संकाय में आयोजित “गत एवं गत भाव: कथक में भाव, नृत्य, परंपरा एवं चुनौतियाँ” विषयक दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का समापन हो गया। इस अवसर पर देशभर की बड़ी हस्तियों और नृत्यांगनाओं ने भाग लिया।संगोष्ठी में कथक नृत्य की परंपरा, गत और गतभाव, साथ ही इस कला में आने वाली चुनौतियों पर चर्चा हुई। लगभग 55 शोधपत्र प्रस्तुत किए गए और ई-प्रोसेसिंग के माध्यम से विद्यार्थियों एवं शोधार्थियों को नृत्य से जुड़ी जानकारियाँ उपलब्ध कराई गईं।समापन सत्र में प्रो. पूर्णिमा पांडेय (पूर्व कुलपति, भातखण्डी संस्कृत विश्वविद्यालय), प्रो. मांडवी सिंह (कुलपति, भातखण्डी संस्कृत विश्वविद्यालय), विदुषी मनीषा साठे (बनारस घराना) और विदुषी रेखा ठाकड़ (जयपुर घराना) को कौस्तुभ कला रत्न सम्मान से सम्मानित किया गया। इसके बाद नृत्य विभाग के परास्नातक और शोध विद्यार्थी ‘गत और गत भाव’ पर आधारित कथक प्रस्तुतियों से दर्शकों का मन मोहते रहे।

कार्यक्रम की उद्धाटन और संचालन में पं. ओंकारनाथ ठाकुर प्रेक्षागृह में दीप प्रज्जवलन, मंगलाचरण और कुलगीत के साथ-साथ प्रो. संगीता पंडित, प्रो. राजेश शाह सहित संकाय के शिक्षकगण और बड़ी संख्या में विद्यार्थी उपस्थित रहे।इस संगोष्ठी ने कथक नृत्य की परंपरा और आधुनिक अनुसंधान को एक मंच पर प्रस्तुत करने के साथ-साथ विद्यार्थियों को प्रत्यक्ष सीखने का अवसर प्रदान किया। 



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