बीएचयू में “गंगा की आत्मा और काशी की संस्कृति” को समर्पित राष्ट्रीय कला कार्यशाला “गंगा प्रणाम” का शुभारंभ

काशी हिंदू विश्वविद्यालय के दृश्य कला संकाय, चित्रकला विभाग और काशिका आर्टिस्ट ग्रुप द्वारा आयोजित सात दिवसीय राष्ट्रीय कला कार्यशाला “गंगा प्रणाम” का उद्घाटन अहिवासी कला दीर्घा में सम्पन्न हुआ। उद्घाटन कार्यक्रम में प्रो. श्रीरूप राय चौधरी, निदेशक भारत कला भवन, और प्रो. श्वेता प्रसाद, सदस्य कार्यकारिणी परिषद बीएचयू ने संयुक्त रूप से शिरकत की।कार्यशाला 7 से 13 नवंबर 2025 तक आयोजित की जा रही है, जिसका उद्देश्य गंगा और काशी की सांस्कृतिक, आध्यात्मिक व कलात्मक विरासत को सृजनात्मक दृष्टिकोण से पुनः अभिव्यक्त करना है। देशभर से आए 35 प्रतिष्ठित कलाकार गंगा के विविध रूप—श्रद्धा, जीवन, संस्कृति और आस्था—को अपने चित्रों में उकेर रहे हैं।नित्यनंद साहू, प्रो. सत्येंद्र सिंह बाओनी, अजय उपासनी, डॉ. शारदा सिंह, हरिपादो मुखी, अनिल शर्मा, डॉ. सुस्मिता नंदी, डॉ. शार्दूल मिश्रा, डॉ. स्तिताधि रथ, डॉ. पंचानन सामल, प्रो. सरोज रानी, डॉ. सुनील कुमार सिंह कुशवाहा, डॉ. सुनील कुमार विश्वकर्मा, साजित मिन्ज, अनुपम पाल, डॉ. संजय कुमार सिंह, उमेंद्र प्रताप सिंह, समर सिंह केसरी ठाकुर, जयबिंद मौर्य, शिवांगी राज, डॉ. संजय कुमार साहनी और अन्य कई प्रमुख कलाकार।चित्रकला विभाग से डॉ. महेश सिंह, श्के. सुरेश कुमार, डॉ. ललित मोहन सोनी, श्विजय भगत, डॉ. सुरेश चंद्र जांगिड़, डॉ. सुनील कुमार पटेल और ओमप्रकाश गुप्ता (समन्वयक, काशिका आर्टिस्ट ग्रुप) सहित कई कला शिक्षक व छात्र उपस्थित रहे। 

देशभर के ख्यातिप्राप्त कलाकार “गंगा” विषय पर प्रतिदिन चित्रकारी करेंगे।– एमएफए प्रथम और द्वितीय सेमेस्टर के विद्यार्थियों की सक्रिय भागीदारी रहेगी।13 नवंबर 2025 को समापन समारोह और प्रदर्शनी का आयोजन होगा।कला, संस्कृति और अध्यात्म का अद्भुत संगम प्रस्तुत किया जाएगा।कार्यशाला के दौरान कलाकारों ने अहिवासी कला वीथिका में कई आकर्षक कृतियों का सृजन किया, जिनमें काशी की सांस्कृतिक गरिमा, घाटों की रमणीयता और आध्यात्मिक वातावरण को विशेष रूप से दर्शाया कार्यशाला संयोजक प्रो. उत्तमा दीक्षित ने छात्रों और कलाकारों से संवाद करते हुए कार्यशाला के उद्देश्य और महत्व पर विस्तार से प्रकाश डाला।विशिष्ट अतिथियों प्रो. श्वेता प्रसाद और प्रो. श्रीरूप राय चौधरी ने कहा कि ऐसे आयोजन छात्रों के शैक्षणिक और कौशल विकास के लिए अत्यंत महत्त्वपूर्ण हैं और यह कार्यशाला उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने का उत्कृष्ट मंच प्रदान करती है।




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