धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान के लिए विश्वप्रसिद्ध काशी इन दिनों प्राकृतिक सौंदर्य से भी सराबोर है। सर्दियों की शुरुआत के साथ ही जब गंगा घाटों पर सुबह-सुबह धुंध की चादर बिछी रहती है, लोग गरम चाय की चुस्कियों के साथ महादेव के दर्शन को निकलते हैं, तभी घाटों पर एक मनमोहक नजारा देखने को मिलता है—हजारों की संख्या में उड़ते और तैरते हुए सफेद पक्षियों का।ये खूबसूरत पक्षी किसी स्थानीय प्रजाति के नहीं, बल्कि हजारों किलोमीटर दूर रूस के साइबेरिया से लंबी यात्रा कर काशी पहुंचते हैं। इन्हें आमतौर पर साइबेरियन पक्षी कहा जाता है। हर साल नवंबर के पहले सप्ताह में इनका आगमन शुरू हो जाता है और फरवरी तक ये प्रवासी पक्षी गंगा किनारे पर्यटकों और स्थानीय लोगों का मन मोहते रहते हैं।
सफेद शरीर, नारंगी चोंच और पैरों वाले ये पक्षी हवा में कलाबाजियां करने के साथ-साथ पानी में तैरने में भी निपुण होते हैं। बताया जाता है कि साइबेरिया में सर्दियों के दौरान तापमान माइनस 50 से माइनस 60 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है, जो इनके जीवन के लिए बेहद कठिन होता है। इसलिए ये हजारों किलोमीटर की यात्रा कर भारत जैसे गर्म जलवायु वाले देश में शरण लेते हैं।इन प्रवासी पक्षियों के आगमन से गंगा घाटों की रौनक और बढ़ गई है। श्रद्धालु और सैलानी दोनों ही इन “साइबेरियन मेहमानों” के संग काशी की सर्द सुबहों का आनंद ले रहे हैं।

