यूपी के सोनभद्र में हुए खदान हादसे के बाद दबे मजदूरों को निकालने के लिए 45 घंटे से अधिक समय से रेस्क्यू ऑपरेशन जारी। NDRF और SDRF की टीमें लगातार पत्थरों और भारी बोल्डरों को हटाने में जुटी हैं, लेकिन अभी तक वे उस स्थान तक नहीं पहुंच सकी, जहां मजदूरों के दबे होने की आशंका है।खदान में भरा पानी रेस्क्यू अभियान को बेहद मुश्किल बना रहा है। हर गिरते बोल्डर के साथ नई चुनौती खड़ी हो रही है।डीएम बी.एन. सिंह ने बताया कि लगभग 70–75 टन वजनी चट्टानों को हटाने के प्रयास लगातार जारी हैं, लेकिन चट्टानों की भारी मोटाई और खतरे के कारण ऑपरेशन बेहद धीमी गति से आगे बढ़ रहा है।डॉग स्क्वायड को भी मौके पर लगाया गया, जो गहराई में किसी जीवन संकेत की तलाश में जुटा है।खदान से कुछ दूरी पर मजदूरों के परिजन और गांववासी डेरा डाले हुए हैं।
हर आवाज पर परिजन चौक पड़ते हैं—उन्हें उम्मीद है कि शायद कोई जीवित पुकार सुनाई दे जाए।हादसा 15 नवंबर, शनिवार दोपहर 3 बजे ओबरा थाना क्षेत्र के बिल्ली स्थित कृष्णा माइनिंग स्टोन की खदान में हुआ। ड्रिलिंग के दौरान पहाड़ का करीब 100 फीट बड़ा हिस्सा अचानक धंस गया। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, करीब 14 मजदूर मलबे में दब गए।प्रशासन ने कहा है कि रेस्क्यू टीम लगातार काम कर रही है और किसी भी हाल में मजदूरों तक पहुंचने की कोशिशें निर्बाध रूप से जारी रहेंगी।
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